गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल 2 जून को बीजेपी का हाथ थाम लेंगे। हार्दिक पटेल ने कुछ दिन पहले कांग्रेस को अलविदा कहा था। काफी दिनों से इस बात की अटकलें जोरों पर थी कि हार्दिक बीजेपी में शामिल हो जाएंगे और ऐसा ही हुआ। आम आदमी पार्टी ने कहा था कि हार्दिक पटेल के लिए उसके दरवाजे खुले हुए हैं।
हार्दिक पटेल ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से 2 जून को बीजेपी में शामिल होने की बात कही है।
गुजरात में कुछ महीने बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं और ऐसे में पाटीदार युवाओं के बीच खासे लोकप्रिय हार्दिक पटेल के बीजेपी में शामिल होने से उसे फायदा मिलेगा जबकि कांग्रेस के लिए यह एक बड़ा झटका है।
चिकन सैंडविच वाला हमला
हार्दिक ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे के पत्र में कहा था कि उनके जैसे कार्यकर्ता अपने खर्च पर 500-600 किलोमीटर तक की यात्रा करते हैं, लोगों के बीच जाते हैं लेकिन दूसरी ओर देखते हैं कि गुजरात के बड़े नेता जनता के मुद्दों से दूर सिर्फ इस बात पर ध्यान देते हैं कि दिल्ली से आए नेता को उनका चिकन सैंडविच समय पर मिला या नहीं। चिकन सैंडविच वाला यह हमला हार्दिक पटेल ने दिल्ली से आए किस नेता की ओर इशारा करके किया है इसे लेकर भी चर्चा जोरों पर रही थी।जताई थी नाराजगी
हार्दिक पटेल ने कांग्रेस छोड़ने से पहले कांग्रेस की गुजरात इकाई के कुछ नेताओं से नाराजगी जताई थी और कहा था कि पार्टी में उन्हें नजरअंदाज किया जा रहा है। इसके बाद उन्होंने कई टीवी चैनल और अखबारों को दिए इंटरव्यू में भी अपनी नाराजगी की बात को दोहराया था।आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम
गुजरात में इस बार आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम भी चुनाव लड़ने जा रही हैं और इसका कांग्रेस के प्रदर्शन पर असर पड़ सकता है। हार्दिक के पार्टी छोड़ने से उसे पाटीदार मतों का भी नुकसान होगा।
कांग्रेस बीते दो दशक से ज्यादा वक्त से गुजरात की सत्ता से बाहर है हालांकि पिछले चुनाव में उसने अपना प्रदर्शन सुधारा था। लेकिन उसके बाद बड़ी संख्या में विधायक और बड़े नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया।
बीजेपी की नजर पाटीदार वोटों पर
दूसरी ओर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार पाटीदार मतों को बीजेपी के पाले में लाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भी लगातार बीजेपी की चुनावी तैयारियों को रफ्तार दे रहे हैं।
पाटीदार आरक्षण आंदोलन के चलते 2017 के विधानसभा चुनाव में इस समुदाय का वोट बीजेपी को पिछले मौक़ों की तरह नहीं मिल सका था।
बीजेपी ने पाटीदार समुदाय को अपने पाले में पूरी तरह वापस लाने की रणनीति पर 2017 के बाद से ही काम शुरू कर दिया था। बीजेपी ने राज्य में पटेल समुदाय से आने वाले भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया और पाटीदार समुदाय के लिए एक नए मंत्रालय का भी गठन किया।
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