गुजरात बीजेपी के बागियों को मनाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूरी ताकत झोंक दी है। अमित शाह का रविवार को पूरा दिन पार्टी के प्रदेश कार्यालय में पार्टी के बागियों से बातचीत करते बीता। इसके बाद उन्होंने गुजरात को चुनाव के नजरिए से चार हिस्सों में बांटा और जिम्मेदारियां सौंपी। इस बीच गुजरात की वडवान विधानसभा सीट से प्रत्याशी घोषित जिग्ना पांड्या ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। 6 बार के बीजेपी विधायक मधु भाई श्रीवास्तव ने बगावत करते हुए निर्दलीय लड़ने की घोषणा की है।
अमित शाह रविवार को सीधे दिल्ली से गांधीनगर बीजेपी मुख्यालय कमलम पहुंचे और उच्चस्तरीय बैठक की। इस बैठक में केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी मौजूद थे। पार्टी के कई असंतुष्टों को पहले से ही पार्टी दफ्तर बुलाकर बैठाया गया था।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर में बताया गया है कि शाह ने टिकट से वंचित बीजेपी विधायक राजेंद्र त्रिवेदी से बंद कमरे में बात की। राजेंद्र को वड़ोदरा के रावपुरा से इस बार टिकट नहीं मिला। त्रिवेदी बगावत पर उतारू हैं। वो निर्दलीय चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं। शाह ने उन्हें चुनाव नहीं लड़ने के लिए मनाने की कोशिश की।
पार्टी द्वारा रमन पटेल को फिर से चुनाव लड़ने की अनुमति दिए जाने के बाद उत्तर गुजरात के विजापुर से पार्टी कार्यकर्ता अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए कमलम पहुंचे थे।
मध्य गुजरात में डैमेज कंट्रोल के लिए बीजेपी ने गुजरात के गृह मंत्री और सूरत से माजुरा विधायक हर्ष सांघवी को नियुक्त किया था। लेकिन सांघवी वाघोडिया से छह बार के विधायक मधु श्रीवास्तव, वड़ोदरा के पाडरा से पूर्व विधायक दिनेश पटेल और कर्जन के पूर्व विधायक सतीश निशालिया जैसे बागियों को शांत नहीं कर पाए। सांघवी ने कई बार इन सभी असंतुष्टों की बैठक बुलाई लेकिन इन बागियों ने बैठकों का बहिष्कार कर दिया। सूत्रों का कहना है कि अमित शाह इन बागियों को मनाने का अंतिम प्रयास कर रहे हैं।
अमित शाह की कोशिशों की वजह से ही मातर से दो बार के विधायक केशरी सिंह सोलंकी, जिन्होंने बीजेपी से इस्तीफा दे दिया था और आप में शामिल हो गए थे, 48 घंटे से भी कम समय में पार्टी में वापस आ गए थे। सूत्रों का कहना है कि अमित शाह ने हालात को संभालने के लिए देबु सिंह चौहान को नियुक्त किया था।
मधु भाई श्रीवास्तव, 6 बार के एमएलए, बीजेपी से बगावत करके अब निर्दलीय प्रत्याशी
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक मध्य गुजरात में वाघोडिया के बाहुबली और छह बार के बीजेपी विधायक मधु भाई श्रीवास्तव ने पहले ही पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने के अपने फैसले की घोषणा की है। मधु भाई ने सीएम गुजरात भूपेंद्र पटेल के बारे में कहा कि उनकी नहीं चल रही है। मधु भाई श्रीवास्तव गुजरात दंगे 2002 में आरोपी भी थे। वडोदरा के दो अन्य बीजेपी विधायक भी बगावत की राह पर हैं। कुछ ऐसा ही हाल सौराष्ट्र के केशोद में देखने को मिल रहा है जहां पूर्व विधायक अरविंद लदानी ने पार्टी से इस्तीफा देकर निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
इसी तरह चोर्यासी विधानसभा क्षेत्र से झंखाना पटेल को हटाए जाने का कार्यकर्ता विरोध कर रहे हैं। पटेल ने 2017 में 1,10,819 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी, जो मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के बाद दूसरे स्थान पर थे। कार्यकर्ताओं का कहना है कि झंखाना पटेल को टिकट न देने की वाजिब वजह पार्टी के पास नहीं है।
सौराष्ट्र की कई सीटों पर प्रत्याशी बदलने की मांग भी उठ रही है। इस बीच, वडवान से पार्टी द्वारा मैदान में उतारी गई जिग्ना पांड्या ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। वो रविवार को गांधी नगर में पार्टी दफ्तर पहुंचीं और पार्टी नेताओं का शुक्रिया अदा करते हुए चुनाव न लड़ने की घोषणा की। उन्होंने पार्टी नेताओं को एक पत्र लिख कहा है कि उनकी जगह पर किसी और को चुनाव लड़ने का मौका दिया जाए।
बागी को प्रभारी बनाया
अमित शाह ने विभिन्न इलाकों में बगावत को रोकने का एक और तरीका भी खोज निकाला है। उसके तहत असंतुष्ट नेताओं को उसी इलाके का प्रभारी बनाने और भविष्य में मौका देने का वादा किया गया है। जामनगर उत्तर से इस बार हकुभा जडेजा का टिकट काट दिया गया है। उनकी जगह क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रीवाबा जडेजा को टिकट दे दिया गया है। इस पर हकुभा जडेजा नाराज हो गए। अब अमित शाह ने हकुभा को जामनगर की तीनों सीटों का प्रभारी बनाकर मना लिया है। इसी तरह की जिम्मेदारी और वादा बाकी संतुष्टों से भी किया जा रहा है।
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