मोरबी में माछु नदी पर बना केबल पुल जब गिरा उससे पहले कुछ लोगों ने चेतावनी दी थी, लेकिन पुल की मरम्मत करने वाले ओरेवा ट्रस्ट ठेकेदार के कर्मचारियों ने उन चेतावनियों की अनदेखी की। इस हादसे में अभी तक 141 लोगों की मौत हो चुकी है। 177 लोग जख्मी हैं, जिन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। बचाव और राहत कार्य अभी भी जारी है। तमाम एजेंसियां डूबे हुए लोगों की तलाश कर रही हैं। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है। मोरबी में पीएम मोदी के आने के मद्देनजर राज्य सरकार तैयारी कर रही है।
पीटीआई के मुताबिक अहमदाबाद निवासी विजय गोस्वामी और उनके परिवार के सदस्यों के लिए, यह एक करीबी बचाव था। क्योंकि वे रविवार दोपहर गुजरात के मोरबी में इस पुल पर गए थे। लेकिन भीड़ की वजह से जब पुल हिलने लगा तो वो लोग डर के मारे पुल से आधे रास्ते पर लौट आए।
कुछ घंटों बाद उनकी आशंका सही साबित हुई, जब माछु नदी पर बना वह पुल शाम करीब साढ़े छह बजे ढह गया।
गोस्वामी ने कहा कि जब वह और उनका परिवार पुल पर थे, तो कुछ युवकों ने जानबूझकर पुल को हिलाना शुरू कर दिया, जिससे लोगों का चलना मुश्किल हो गया। उन्होंने कहा कि चूंकि उन्हें लगा कि यह कृत्य खतरनाक साबित हो सकता है, इसलिए वह और परिवार पुल पर आगे बढ़े बिना लौट आए। उन्होंने कहा कि उन्होंने इसके बारे में पुल कर्मचारियों को भी सचेत किया था, लेकिन वे उदासीन थे।
पीटीआई के मुताबिक उन्होंने बताया कि पुल पर भारी भीड़ थी। मैं और मेरा परिवार पुल पर थे तभी कुछ युवकों ने जानबूझकर उसे हिलाना शुरू कर दिया। लोगों के लिए बिना किसी सहारे के खड़ा होना असंभव था। चूंकि मुझे लग रहा था कि यह खतरनाक साबित हो सकता है, इसलिए मैं और मेरा परिवार पुल पर कुछ दूरी तय करके वापस आ गए। गोस्वामी ने अहमदाबाद आने के बाद संवाददाताओं से यह बात कही।
उन्होंने बताया कि मौके से निकलने से पहले, मैंने ऑन-ड्यूटी कर्मचारियों को लोगों को पुल को हिलाने से रोकने के लिए सतर्क किया। लेकिन वे सिर्फ टिकट बेचने में दिलचस्पी रखते थे और हमें बताया कि भीड़ को नियंत्रित करने की कोई व्यवस्था नहीं है। हमारे जाने के कुछ घंटे बाद, हमारा डर सच हो गया क्योंकि पुल अंततः ढह गया। हालांकि सोशल मीडिया पर विजय गोस्वामी की इस कहानी को कुछ लोगों ने गलत भी बताया। उनका कहना है कि पुल को कुछ लोगों के हिलाने से गिरने की बात कहना हास्यास्पद है। क्योंकि पुल पर इतनी भीड़ पहले भी होती रही है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में, कुछ युवाओं को अन्य पर्यटकों को डराने के लिए पुल की रस्सियों को लात मारते और हिलाते हुए देखा जा सकता है। हालांकि इस वीडियो की सत्यता का दावा किसी ने नहीं किया। यह वीडियो पुराना है या कब का है, इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
एक स्थानीय निवासी ने कहा, पुल पर लगभग 300 लोग थे, जिसे कुछ दिन पहले जनता के लिए खोला गया था। पीड़ितों में अधिकांश बच्चे थे, क्योंकि वे यहां दीवाली की छुट्टियों का आनंद लेने आए थे। हादसे के तुरंत बाद स्थानीय लोग मौके पर पहुंचे और कई लोगों को जिंदा बाहर निकाला। मोरबी के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले बड़ी संख्या में लोग पुल गिरने के बाद नदी में गिरे लोगों की मदद के लिए दौड़ पड़े।
अभी तक का अपडेट
- कुल 141 मौतों की आधिकारिक सूचना, 177 लोग जख्मी, अस्पतालों में भर्ती
- पीएम मोदी आज सोमवार को मोरबी कभी भी जा सकते हैं
- पीएम मोदी इस रिपोर्ट को लिखे जाने के समय सरदार पटेल के स्टेच्यू ऑफ यूनिटी पर राष्ट्रीय एकता की शपथ दिला रहे थे। एक परेड का निरीक्षण कर रहे थे। देश के तमाम टीवी चैनल इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण कर रहे थे। पीएम मोदी ने एक हैट लगा रखा था।
- सीएम भूपेंद्र पटेल रविवार रात से ही मोरबी में मौजूद। बैठक पर बैठक कर रहे हैं
- पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। पुल की मरम्मत और देखरेख करने वाले ओरेवा ठेकेदार पर कोई कार्रवाई अब तक नहीं और न ही कोई गिरफ्तारी
- ब्रिटिश शासनकाल में बने इस पुल की मालिक स्थानीय नगर निकाय है लेकिन संचालन ओरेवा ट्रस्ट करता है। जिसके लोग सत्तारूढ़ पार्टी के नजदीकी हैं।
- ओरेवा ट्रस्ट तो है लेकिन ओरेवा मूल रूप में एक कंपनी है जो घड़ी आदि बनाने का काम करती है।
- ओरेवा मोरबी में एक एनजीओ के रूप में भी जाना जाता है जो गरीब लड़कियों की शादी वगैरह भी कराता है।
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