गुजरात में दूसरे चरण के मतदान में भी वोट प्रतिशत नहीं बढ़ पाया। चुनाव आयोग के मुताबिक शाम 5 बजे तक दूसरे चरण में 58.70 फीसदी मतदान हुआ। हालांकि अंतिम प्रतिशत देर रात संशोधित होगा लेकिन उसके 60 फीसदी से ऊपर जाने के अनुमान नहीं हैं। पहले चरण में 63.14 फीसदी मतदान हुआ था। दूसरे चरण में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए तो चुनाव आयोग ने शनिवार को बड़ी मेहनत की थी लेकिन उम्मीद के हिसाब से दूसरे चरण में प्रतिशत नहीं बढ़ा। कम प्रतिशत को क्या खतरे की घंटी माना जाए।
मतदान का कम प्रतिशत शहरी या सेमी अर्बन इलाकों में रहा। इन इलाकों को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। इस तरह 2022 में मतदान ke प्रतिशत 2017 के बराबर भी नहीं पहुंच पाया है। इसका एक अर्थ यह निकलता है कि शहरी मतदाता इस बार भी वोट डालने कम तादाद में गया, तो क्या उसे राजनीतिक दलों से नाराज माना जाए। ऐसे में लोगों की पहली नाराजगी तो सत्तारूढ़ दल यानी बीजेपी से ही होती है लेकिन 8 दिसंबर को सही तस्वीर सामने आएगी कि इस बार शहरी इलाकों ने बीजेपी का कितना साथ दिया।
गुजरात 182 विधानसभा सीटों में से 98 सीटें ग्रामीण और 84 सीटें शहरी मानी जाती हैं। 2017 में बीजेपी ने शहरी इलाकों में 63 सीटें जीती थीं, जबकि ग्रामीण इलाकों में उसे 36 सीटें ही मिल सकी थीं। 2022 के विधानसभा चुनाव में जो पहले चरण में मतदान हुआ, उसमें आदिवासी और ग्रामीण इलाकों के मुकाबले शहरी इलाकों वाले मतदाता 15 फीसदी कम वोट डालने आए। पहले चरण में 89 सीटों के लिए वोट डाले गए थे।
उत्तर गुजरात की नब्बे फीसदी सीटें ग्रामीण हैं। दक्षिण गुजरात में यह आंकड़ा महज 50% है। सौराष्ट्र और मध्य गुजरात के लिए, ग्रामीण सीटों का हिस्सा 75% और 63% है। उत्तर गुजरात और सौराष्ट्र के ग्रामीण सीटों पर कांग्रेस बीजेपी से आगे रही थी।
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