कल्पना सोरेन
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हेमंत सोरेन
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गुजरात में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद शनिवार को बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई। इसमें भूपेंद्र पटेल को विधायक दल का नेता चुन लिया गया। इसके बाद भूपेंद्र पटेल, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीआर पाटिल के साथ राजभवन पहुंचे और सरकार बनाने का दावा पेश किया। वह सोमवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
विधायक दल के नेता के चयन के लिए दिल्ली से केंद्रीय पर्यवेक्षक के रुप में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा पहुंचे थे।
गुजरात में विधानसभा चुनाव के दौरान ही बीजेपी ने इस बात का ऐलान कर दिया था कि अगर वह सत्ता में आई तो भूपेंद्र पटेल फिर से मुख्यमंत्री होंगे।
सितंबर, 2021 में बीजेपी ने विजय रुपाणी को मुख्यमंत्री पद से हटाया था और भूपेंद्र पटेल को कुर्सी सौंपी थी। उस वक्त इस फैसले पर लोगों को आश्चर्य हुआ था क्योंकि भूपेंद्र पटेल 2017 में पहली बार विधायक बने थे। पटेल को इस बार भी उनकी पुरानी सीट घाटलोडिया से चुनाव मैदान में उतारा गया था जहां से उन्होंने दो लाख से ज्यादा वोटों से जीत हासिल की है।
गुजरात के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड जीत मिली है। 182 सीटों वाली गुजरात की विधानसभा में बीजेपी को 156 सीटों पर जीत मिली है जबकि कांग्रेस को सिर्फ 17 और आम आदमी पार्टी को 5 सीटों पर जीत मिली है। यह आजादी के बाद से अब तक गुजरात के विधानसभा चुनाव में किसी भी दल के द्वारा हासिल की गई सबसे बड़ी जीत है।
हालांकि बीजेपी को हिमाचल के विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है।
बीजेपी को चूंकि जबरदस्त जीत मिली है इसलिए उसके लिए नई कैबिनेट के मंत्रियों का चुनाव करना आसान नहीं होगा। गुजरात की कैबिनेट में मुख्यमंत्री को मिलाकर अधिकतम 27 मंत्री हो सकते हैं। द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक गुजरात बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि नई कैबिनेट में पाटीदार, ओबीसी, दलित, महिलाओं को भागीदारी दी जाएगी। पिछली सरकार की तरह इस सरकार में भी हर्ष सांघवी, जीतू वघानी, ऋषिकेश पटेल, कानू देसाई, राघवजी पटेल, पूर्णेश मोदी, जगदीश विश्वकर्मा, मनीषा वकील, जीतू चौधरी के मंत्री बनने की बात कही जा रही है।
दूसरी ओर, 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने वाली कांग्रेस ने 77 सीटें हासिल की थी और यह उसका सबसे शानदार प्रदर्शन रहा था। लेकिन इस बार वह 20 सीटों के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच सकी।
कांग्रेस की बुरी हार की एक बड़ी वजह आम आदमी पार्टी को भी माना जा रहा है। आम आदमी पार्टी ने इस चुनाव में लगभग 13 फीसद वोट हासिल किए हैं और उसने कांग्रेस के वोट शेयर में जबरदस्त सेंध लगाई है जबकि बीजेपी का वोट शेयर कम नहीं हुआ है बल्कि लगभग 4 फीसद बढ़ा है।
कांग्रेस को 2017 के विधानसभा चुनाव में 41 फीसद वोट मिले थे जबकि इस बार वह 27 फीसद वोट हासिल कर पाई है। ऐसे में यह साफ है कि कांग्रेस को मिलने वाले वोटों का बड़ा हिस्सा आम आदमी पार्टी ने अपने पाले में कर लिया। बीजेपी को साल 2017 के विधानसभा चुनाव में 49 फीसद वोट मिले थे और इस बार उसने लगभग 53 फीसद वोट हासिल किए हैं। जबकि पिछली बार आम आदमी पार्टी को 0.1 फीसद वोट मिले थे लेकिन इस बार उसने इसमें जबरदस्त बढ़ोतरी की है।
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