गुजरात में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान होने में कुछ ही दिन बाकी हैं। शुक्रवार को जब हिमाचल प्रदेश के लिए चुनाव की तारीखों का एलान हुआ तो उसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सरकारी आवास पर बेहद अहम बैठक हुई। इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल भी मौजूद रहे। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, यह बैठक सात घंटे तक चली।
गुजरात में बीजेपी साल 1997 से लगातार सत्ता में रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह जैसे पार्टी के बड़े और ताकतवर नेता इसी राज्य से आते हैं। ऐसे में इस राज्य के चुनाव के लिए प्रधानमंत्री के आवास पर घंटों तक बैठक होने का क्या मतलब निकलता है।
केजरीवाल के दौरे
गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार आम आदमी पार्टी ने भी पूरा जोर लगाया है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल लगातार राज्य के दौरे कर रहे हैं। केजरीवाल वहां आम आदमी पार्टी की सरकार बनने का दावा भी करते हैं हालांकि यह कहना मुश्किल होगा कि बीजेपी और कांग्रेस की दो ध्रुवीय लड़ाई वाले इस राज्य में आम आदमी पार्टी अपनी सरकार बना पाएगी।
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लेकिन पिछले दिनों गुजरात में हुई चुनावी सभाओं में जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्बन नक्सल कहकर अपने राजनीतिक विरोधियों पर हमला बोला है, उससे ऐसा जरूर लगता है कि बीजेपी को आम आदमी पार्टी के द्वारा उसके वोटों में सेंध लगने का डर है।
सूरत नगर निगम की जीत
आम आदमी पार्टी को पिछले साल गुजरात में हुए स्थानीय निकाय के चुनाव में शहरी इलाकों विशेषकर सूरत में अच्छी जीत मिली थी। सूरत नगर निगम की 120 में से 27 सीटों पर आम आदमी पार्टी को जीत मिली थी।
गुजरात चुनाव को लेकर अगर सोशल मीडिया और टीवी पर नजर दौड़ाएं, तो ऐसा लगता है कि गुजरात में आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच चुनावी लड़ाई है। लेकिन राज्य में कांग्रेस भी एक बड़ी सियासी ताकत है। हार के बावजूद कांग्रेस को हर विधानसभा चुनाव में 40 फीसद के आसपास वोट मिलते रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी लगातार कई महीनों से गुजरात के दौरे कर रहे हैं। पार्टी के इन तीनों बड़े नेताओं ने इस दौरान आदिवासी से लेकर पाटीदारों और समाज के अन्य वर्गों तक को अपने पक्ष में लाने की पूरी कोशिश की है।
2017 के विधानसभा चुनाव में गुजरात में जीत हासिल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अच्छा-खासा जोर लगाना पड़ा था लेकिन तब भी बीजेपी की सीटें कम हुई थी। 2012 में कांग्रेस को जहां 61 सीटें मिली थीं, वहीं 2017 में यह आंकड़ा 77 हो गया था, दूसरी ओर बीजेपी 2012 में मिली 115 सीटों के मुक़ाबले 2017 में 99 सीटों पर आ गयी थी।
इटालिया के बयानों को बनाया मुद्दा
गुजरात में आम आदमी पार्टी के संयोजक गोपाल इटालिया के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मां हीरा बा को लेकर की गई टिप्पणियों पर भी दिल्ली से लेकर गुजरात तक बीजेपी के कार्यकर्ता सड़क पर हैं। इटालिया को हिरासत में भी लिया गया था। इसके अलावा केजरीवाल सरकार के पूर्व मंत्री राजेंद्र पाल गौतम के एक कार्यक्रम में ली गई प्रतिज्ञाओं को बीजेपी ने मुद्दा बना लिया था और इसे लेकर पूरे गुजरात के अंदर केजरीवाल के खिलाफ पोस्टर लगा दिए थे।
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कौन होगा चेहरा?
गुजरात में अभी यह तय नहीं है कि बीजेपी का चुनावी चेहरा कौन होगा। भूपेंद्र पटेल को बीते साल सितंबर में विजय रुपाणी की जगह मुख्यमंत्री बनाया गया था। राज्य में बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल के बारे में कहा जाता है कि वह मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं। विजय रुपाणी के मुख्यमंत्री रहते हुए पाटिल की उनसे सियासी तनातनी की खबरें गुजरात के राजनीतिक गलियारों से आती रहती थीं।
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सीआर पाटिल की कहानी
सीआर पाटिल गुजरात के नवासारी से सांसद हैं और राजनीति में आने से पहले वह पुलिस में कांस्टेबल थे। लेकिन 1989 में वे बीजेपी में शामिल हो गए और कुछ ही सालों में नरेंद्र मोदी के क़रीबी बन गए। उन दिनों मोदी गुजरात बीजेपी के महासचिव हुआ करते थे। पाटिल के बारे में कहा जाता है कि 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत में भी उनकी भूमिका रही थी। इसका इनाम देते हुए उन्हें गुजरात बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया था। पाटिल महाराष्ट्र मूल के हैं और इस वजह से उनका गुजरात का मुख्यमंत्री बनना मुश्किल है।
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