भारतीय विदेश सेवा से इस्तीफ़ा देकर 1984 में राजनीति में आने वाले नटवर सिंह का राजनीतिक सफर हिचकोले भरा रहा है। विदेश सेवा के दौरान वह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में पीएमओ में रहे। राजीव गांधी सरकार में 1989 तक मंत्री रहे। फिर 1989 में चुनाव हारे, 1991 में भी सांसद नहीं रहे।
कांग्रेस में हैं तीन हाईकमान, गांधी परिवार ही चला सकता है पार्टी: नटवर सिंह
- एक्सक्लूसिव
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- 9 Oct, 2021

लंबा राजनीतिक अनुभव रखने वाले नटवर सिंह ने कई किताबें भी लिखी हैं। निजी लाइब्रेरी में किताबों से घिरे रहने वाले नटवर सिंह का पाकिस्तान, चीन और अफ़ग़ानिस्तान पर राजनयिक अनुभव और समझ का कोई मुकाबला नहीं है। पढ़िए, वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी की नटवर सिंह के साथ खास बातचीत के कुछ अंश।
गांधी परिवार पर आस्था के कारण तब के प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से उनके रिश्ते खराब रहे। अर्जुन सिंह और नारायण दत्त तिवारी के साथ कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बना ली। सोनिया गांधी के आने पर फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए।
गांधी परिवार के प्रति निष्ठा से 1998 में भरतपुर से टिकट लेकर सांसद बन गए, लेकिन 1999 का चुनाव हार गए। कांग्रेस ने साल 2002 में राजस्थान से राज्यसभा सांसद बनाया और 2004 में मनमोहन सिंह सरकार में विदेश मंत्री बनाए गए लेकिन वोल्कर घोटाले में नाम आने पर 2006 में मंत्री पद गंवाना पड़ा। बेटे और नटवर सिंह कांग्रेस पार्टी से बाहर हो गए।
2008 में बीएसपी में शामिल तो हो गए लेकिन चार महीने में निकाल दिए गए। पिछले दिनों उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मुलाकात की है। अब पढ़िए, विजय त्रिवेदी के सवाल और नटवर सिंह के जवाब।