यह लेख पत्रकार और पूर्व विधायक जरनैल सिंह ने लिखा है। यह वही जरनैल सिंह हैं जिन्होंने 2009 में तत्कालीन गृह मंत्री पी. चिदंबरम पर जूता फेंका था और जिसके बाद कांग्रेस को दाग़ी उम्मीदवारों को टिकट देने का फ़ैसला बदलना पड़ा था। जरनैल दैनिक जागरण में पत्रकार थे और बाद में 84 दंगों पर किताब लिखी थी। दंगों में उनके परिवार के लोग भी मारे गये थे।
‘सत्ता की अमानवीय बेरुख़ी, राजनीतिक संरक्षण और व्यवस्था की संवेदनहीनता ने 1984 सिख नरसंहार में मारे गए हज़ारों निर्दोष सिखों के लिए न्याय का चक्का 25 साल तक नहीं घूमने दिया था। लेकिन कांग्रेस मुख्यालय में एक सिख पत्रकार के जूते ने सिर्फ़ 2.5 मीटर की दूरी तय कर उसे घूमने पर मजबूर कर दिया।’