जेएनयू में हुई हिंसा की देश ही नहीं दुनिया भर में निंदा हो रही है। भारत का सामान्य नागरिक भी इस पर भरोसा नहीं कर पा रहा है कि देश की इतनी प्रतिष्ठित और राजधानी में स्थित यूनिवर्सिटी में नक़ाबपोश गुंडे घुसे, कहर मचाकर चले गए और पुलिस को इसका पता भी नहीं चला। घटना के 8 दिन बाद भी पुलिस ने अब तक इस मामले में किसी को गिरफ़्तार करना तो दूर, हिरासत में लेकर पूछताछ तक शुरू नहीं की है। जबकि इस घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं। अंग्रेजी न्यूज़ चैनल ‘इंडिया टुडे’ के स्टिंग ऑपरेशन में दिखे दो शख़्स दावा कर चुके हैं कि वे हमला करने वाली भीड़ में शामिल थे। एक नक़ाबपोश लड़की का फ़ोटो वायरल है जिसका नाम कोमल शर्मा बताया गया है, लेकिन उसे भी पुलिस अब तक बस जाँच में शामिल होने का नोटिस ही भेज सकी है।
जेएनयू: आरोपियों को गिरफ़्तार कर सच क्यों नहीं उगलवाती पुलिस? हीला-हवाली क्यों?
- दिल्ली
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- 13 Jan, 2020
जेएनयू की घटना को 8 दिन बीत चुके हैं लेकिन दिल्ली पुलिस मामले का ख़ुलासा करना तो दूर अभी तक किसी को गिरफ़्तार तक नहीं कर पाई है।

दिल्ली पुलिस को भारत की सबसे बेहतर पुलिस माना जाता है। इसमें काम करने वाले पुलिस अफ़सरों के पास राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही संसद, सुप्रीम कोर्ट, सांसदों, तमाम बड़ी हस्तियों, व्यवसायियों के अलावा यहां रहने वालों करोड़ों लोगों की सुरक्षा का जिम्मा है। पुलिस से उम्मीद यह की जाती है कि वह मुस्तैदी दिखाते हुए किसी भी घटना को जल्द से जल्द सुलझाएगी। लेकिन जेएनयू मामले में हो बिलकुल उल्टा रहा है। ऐसे में पुलिस की भूमिका पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं।