शीला-चाको में चल रहा था विवाद
शीला दीक्षित का निधन इस साल 20 जुलाई को हुआ था और तब वह दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष थीं। चाको और शीला दीक्षित के बीच उन दिनों कांग्रेस संगठन से जुड़े मुद्दों को लेकर ख़ासा विवाद चल रहा था। शीला दीक्षित ने लोकसभा चुनाव के बाद दिल्ली की सभी जिला और ब्लॉक कांग्रेस कमेटियों को भंग कर दिया था लेकिन चाको ने शीला के फ़ैसले पर रोक लगा दी थी और पुरानी कमेटियों को बहाल रखा था। बताया जाता है कि इसके बाद शीला और चाको के बीच सियासी लड़ाई बढ़ गई थी।ख़बरों के मुताबिक़, संदीप दीक्षित ने बुधवार को यह लीगल नोटिस भेजा है। शीला दीक्षित की मौत के क़रीब ढाई महीने बाद भेजे गये इस लीगल नोटिस में संदीप ने लिखा है, ‘मेरी मां की मौत के जिम्मेदार पीसी चाको हैं और उन्होंने मेरी मां को प्रताड़ित किया।’
ख़बरों के मुताबिक़, लीगल नोटिस में कहा गया है कि पहले से ही बीमार चल रहीं शीला दीक्षित के दिल्ली कांग्रेस से जुड़े फ़ैसलों को चाको के रोकने के कारण वह आहत हुई थीं और इसका असर उनकी सेहत पर पड़ा था।
शीला ने भी लिखी थी चिट्ठी!
सूत्रों के मुताबिक़, निधन से कुछ दिन पहले शीला दीक्षित ने 8 जुलाई को सोनिया गाँधी को चिट्ठी लिख कर शिकायत की थी कि दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन और प्रभारी पीसी चाको उन्हें काम नहीं करने दे रहे हैं। चिट्ठी सामने आने की बात के बाद पार्टी में बवाल हुआ था लेकिन चिट्ठी को लेकर पुष्टि कोई नहीं कर पाया था।सूत्रों ने दावा किया था कि सोनिया गाँधी को लिखी अपनी ‘आख़िरी चिट्ठी’ में शीला दीक्षित ने दिल्ली की अंदरूनी गुटबाज़ी के लिए कई नेताओं को ज़िम्मेदार ठहराते हुए उनकी भूमिकाओं की जाँच कराने की भी माँग की थी।
शीला ने अपनी ‘आख़िरी चिट्ठी’ में लिखा था, ‘माकन के इशारे पर चाको बेवजह क़दम उठा रहे हैं और मेरे काम में अड़ंगा लगा रहे हैं। चाको और माकन दिल्ली में गठबंधन करना चाहते थे, लेकिन मैं उसके ख़िलाफ़ खड़ी रही। नतीजा आपके सामने है। कांग्रेस बिना गठबंधन के दूसरे नंबर पर आई। दिल्ली कांग्रेस के हालिया विवाद में आप हम तीनों की भूमिका की जाँच करा लें। मेरे आरोप सही साबित होंगे।’
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