आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका की सुनवाई पर अदालत ने 30 सितंबर तक रोक लगा दी है। निचली अदालत उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है। विशेष जज गीतांजलि गोयल ने इस संबंध में ईडी से कड़े सवाल पूछे थे। इसके बाद ईडी की ओर से एएसजी (अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल) एसवी राजू ने सीजेएम कोर्ट में इस मामले को ट्रांसफर करने की अर्जी लगाई थी। इस पर इस मामले के दो अन्य आरोपियों के वकील ने हैरानी जताई।
सोमवार को इस मामले में बड़ा अजीबोगरीब घटनाक्रम हुआ। सोमवार को एएसजी राजू ने प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश (सीजेएम) विनय कुमार गुप्ता को केस ट्रांसफर वाली अर्जी से अवगत कराया। जिसके बाद इस मामले में प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया गया। अब मामले की सुनवाई 30 सितंबर को होगी। तब तक विशेष जज सत्येंद्र जैन की जमानत पर कोई फैसला नहीं कर सकतीं।
सत्येंद्र जैन के मामले में अन्य दो आरोपियों वैभव जैन और अंकुश जैन का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील सुशील कुमार गुप्ता ने अपने मुवक्किलों की ओर से इस तथ्य पर हैरानी व्यक्त करते हुए नोटिस स्वीकार किया कि ईडी ने इस मामले में पूरे मुकदमे को ट्रांसफर करने की मांग की है। गुप्ता ने कहा, हमें यह आभास दिया गया था कि यह जमानत आवेदन के मामले में अर्जी थी। लेकिन अब केस दूसरी अदालत में ट्रांसफर करने की मांग की गई है।
वकील गुप्ता ने अदालत से एक छोटी तारीख देने के लिए कहा, क्योंकि जमानत याचिका पर 40 दिनों से सुनवाई चल रही थी और "अपने अंतिम चरण में थी।"
15 सितंबर को ईडी के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस वी राजू ने विशेष जज गीतांजलि गोयल की अदालत से कार्यवाही ट्रांसफर करने की मांग करते हुए एक आवेदन दिया था। जैन के वकीलों द्वारा अपनी दलीलें पूरी करने के साथ जमानत की सुनवाई अब अपने अंतिम चरण में थी, और ईडी भी आगे की दलीलें रखने के लिए एक अतिरिक्त तारीख की मांग कर रहा था। लेकिन एएसजी ने इसी दौरान मामला ट्रांसफर करने की अर्जी लगा दी।
ईडी ने जैन को भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत 2017 में उनके खिलाफ दर्ज सीबीआई की एफआईआर के आधार पर मामले में गिरफ्तार किया था। जैन पर कथित तौर पर उनसे जुड़ी चार कंपनियों के जरिए कथित मनी लान्ड्रिंग करने का आरोप था।
ईडी ने इससे पहले 13 सितंबर को इस मामले में आगे की दलीलों के लिए स्थगन की मांग की थी। जमानत पर सुनवाई 20 अगस्त को शुरू हुई जब एजेंसी ने जैन की याचिका का विरोध करते हुए अपनी लिखित दलीलें दाखिल कीं।
अदालत जैन के अलावा मामले के सह आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन की जमानत अर्जी पर भी सुनवाई कर रही है।
सीबीआई ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में कथित तौर पर 1.47 करोड़ रुपये की संपत्ति जमा करने के आरोप में जैन के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था। बाद में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में 4.81 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की।
अदालत के कड़े सवाल
पिछले हफ्ते मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली कोर्ट के जज ने ईडी से कड़े सवाल किए थे। जैन की जमानत याचिका का रिव्यू करते हुए, विशेष जज गीतांजलि गोयल ने 'मामले में अपराध' के बारे में पूछा। जज ने एएसजी से पूछा, कि इस मामले में अपराध कहां हुआ है, बताएं? क्या 4.61 करोड़ रुपये कथित अपराधी की आय हो सकती है जबकि सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में 1.46 करोड़ रुपये का उल्लेख किया है? क्या यह पैसा डीए मामले में उस पैसे से अधिक हो सकता है?
दरअसल, आरोपपत्र में सीबीआई और ईडी ने जिस रकम का जिक्र किया है, उनमें काफी बड़ी असमानता है। अदालत ने इसी मुद्दे पर ईडी से सवाल किए।इससे पहले एक पीआईएल दाखिल कोर्ट से मांग की गई थी कि सत्येंद्र जैन को दिमागी रूप से असंतुलित घोषित किया जाए और उन्हें मंत्री पद से हटाया जाए। अदालत ने पीआईएल को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को काफी खरीखोटी सुनाई थी। अदालत ने कहा कि जैन को मंत्री रहने और विधायक रहने का पूरा अधिकार है। मामला अभी चल रहा है। वो अपराधी घोषित नहीं किए गए हैं।
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