दिल्ली तीन दिन तक दंगों में जली। दंगाइयों ने कोई कसर नहीं रखी कि वे कुछ भी छोड़ दें। उन्होंने घर, दुकान, मकान, जो कुछ जला सकते थे, सब जला दिये। दंगाइयों के अंदर भरे ज़हर से बच्चों के स्कूल तक नहीं बच सके। अंग्रेजी अख़बार ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ ने दंगा ग्रस्त इलाक़े बृजपुरी के कुछ बच्चों से बातचीत की है। कई बच्चे ऐसे हैं जो दंगों के चश्मदीद बने हैं।
दिल्ली: दंगों के गवाह बने बच्चे कैसे भूलेंगे इन दहशत के दिनों को?
- दिल्ली
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- 29 Mar, 2020
दिल्ली में दंगाइयों के अंदर भरे ज़हर से बच्चों के स्कूल तक नहीं बच सके। दंगाइयों ने बच्चों के स्कूल फूंक दिये।

‘हिंदुस्तान टाइम्स’ के मुताबिक़, बृजपुरी की ही रहने वाली 13 साल की तुबा अक़ील पिछले कुछ दिनों से ख़ामोश है। उसके परिवार का कोई भी सदस्य जब भी उससे बात करने की कोशिश करता है तो वह रोने लगती है। तुबा ने मंगलवार को दंगाइयों को उसका स्कूल जलाते हुए देखा था और इसके एक दिन बाद दंगों में उसके 17 साल के चचेरे भाई की मौत हो गई।