दिल्ली पुलिस के कमिश्नर के पद पर राकेश अस्थाना की नियुक्ति का कांग्रेस के बाद आम आदमी पार्टी ने भी विरोध किया है। दिल्ली में सरकार चला रही आम आदमी पार्टी ने गुरूवार को विधानसभा में अस्थाना की नियुक्ति के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पास किया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय अस्थाना की नियुक्ति का प्रस्ताव वापस ले। बता दें कि दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन आती है।
अस्थाना को मंगलवार रात को दिल्ली पुलिस का कमिश्नर बनाया गया था। अस्थाना बीएसएफ़ के महानिदेशक पद की जिम्मेदारी संभाल रहे थे और कमिश्नर के पद पर उनकी नियुक्ति रिटायरमेंट से तीन दिन पहले की गई थी। गृह मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अस्थाना को जनहित में एक साल का सेवा विस्तार दिया गया है।
दिल्ली विधानसभा में यह प्रस्ताव बुराड़ी से विधायक संजीव झा की ओर से लाया गया। झा ने विधानसभा में कहा कि राकेश अस्थाना की नियुक्ति अवैध है। इसके लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 2019 के एक फ़ैसले का हवाला दिया।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च, 2019 के प्रकाश सिंह वाले मामले में कहा था कि ऐसा कोई भी अफ़सर जिसके रिटायरमेंट में 6 महीने से कम का वक़्त बचा हो, उसे किसी भी राज्य में पुलिस का प्रमुख नियुक्त नहीं किया जाना चाहिए। अस्थाना 1984 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस अफ़सर हैं और वह सीबीआई प्रमुख की दौड़ में भी थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट के उपरोक्त फ़ैसले के कारण इस दौड़ से बाहर हो गए थे।
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने विधानसभा में कहा कि बीजेपी कहना चाहती है कि मोदी सरकार ने अभी तक दिल्ली में जितने भी कमिश्नर नियुक्त किए, वे सब नाकारा, निकम्मे थे और केंद्र में सरकार बनने के सात साल के बाद पहली बार अच्छा अफ़सर लाया गया है।
विधायक ने उठाए सवाल
मॉडल टाउन सीट से विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी ने सवाल उठाया कि राकेश अस्थाना को किस खास मिशन के तहत दिल्ली पुलिस का कमिश्नर बनाया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे शख़्स को दिल्ली पुलिस का कमिश्नर बनाया गया है, जिसका पूरा चरित्र दागदार रहा है और नौकरी के दौरान पूरा जीवन एक पार्टी विशेष की सेवा के लिए समर्पित रहा है।
राकेश अस्थाना के बारे में कहा जाता है कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नज़दीकी हैं और इसीलिए उन्हें सीबीआई में विशेष निदेशक बनाया गया था। विशेष निदेशक रहते हुए वह सीबीआई में तमाम बड़े और नीतिगत निर्णय लिया करते थे। लेकिन बाद में सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा से उनकी अनबन हो गई थी।
दोनों ने एक-दूसरे के ख़िलाफ़ शिकायत की थी और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया था। इसके बाद दोनों को ही पद से हटा दिया गया था। इस मामले से तब मोदी सरकार की ख़ासी किरकिरी हुई थी।
कांग्रेस ने भी घेरा
राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस के कमिश्नर के पद पर नियुक्ति को लेकर कांग्रेस ने भी सवाल उठाए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेन्स कर पूछा था कि अस्थाना के पास आख़िर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ क्या है?
खेड़ा ने कहा था कि पेगासस जासूसी वाली सूची में अस्थाना का नाम आने के बाद उनकी नियुक्ति की गई है। उन्होंने अस्थाना को प्रधानमंत्री मोदी का क़रीबी बताते हुए पूछा कि क्या इसके लिए उन्हें कोई लाभ दिया गया है।
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