निर्भया के चारों दोषियों को अब 3 मार्च को सुबह छह बजे फाँसी होगी। कोर्ट ने यह ताज़ा डेथ वारंट जारी किया है। यह तीसरा डेथ वारंट है। इससे पहले दो बार उनकी फाँसी टल चुकी है। दया याचिका जैसे अपने क़ानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करने के कारण पिछली बार तो फाँसी से कुछ घंटे पहले ही उनकी फाँसी की सज़ा टल गई थी।
हालाँकि एक दोषी ने अब तक न तो क्यूरेटिव पिटीशन और न ही राष्ट्रपति को दया याचिका दायर की है। लेकिन इस बीच हाई कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सभी दोषी एक हफ़्ते के अंदर अपने सभी क़ानूनी अधिकारों का इस्तेमाल कर लें नहीं तो इसके बाद वे इसका इस्तेमाल नहीं कर पाएँगे। यह एक हफ़्ते का समय भी ख़त्म हो गया है। हालाँकि वह इस समय को बढ़वाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जा सकता है।
हाल के दिनों में फाँसी की सज़ा को टालने के लिए चारों दोषियों की ओर से अलग-अलग कई याचिकाएँ दायर की जा रही हैं। इसमें से एक याचिका पवन गुप्ता की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में डाली गई थी जिसमें माँग की गई थी कि वह अपने पहले के फ़ैसले की समीक्षा करे। पवन गुप्ता का दावा है कि घटना के समय वह नाबालिग था और इस लिहाज़ से केस को सुना जाए। सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका को खारिज कर दिया है।
दिल्ली गैंगरेप के इस मामले में एक फ़रवरी को उनकी फाँसी की सज़ा टल गई थी। इससे पहले 22 जनवरी को उन्हें फाँसी दी जानी थी। लेकिन 17 जनवरी को दिल्ली की अदालत ने आदेश दिया था कि चारों दोषियों को एक फ़रवरी को फाँसी दी जाएगी।
बता दें कि 16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में चलती बस में निर्भया से छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था। 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान निर्भया की मौत हो गई थी। इस जघन्य कांड के मुख्य अभियुक्त राम सिंह ने 11 मार्च, 2013 को तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी।
बस में अक्षय कुमार सिंह हेल्पर के रूप में काम करता था। अक्षय बलात्कार, हत्या और सबूत मिटाने का दोषी है। इसके अलावा जिम ट्रेनर विनय शर्मा, बस ड्राइवर मुकेश सिंह भी इस जघन्य कांड में शामिल थे। एक और दोषी पवन गुप्ता फल की दुकान लगाता था। एक दोषी जो नाबालिग था उसे तीन साल की जेल के बाद छोड़ दिया गया था।
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