नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर दिल्ली में हुए दंगे में कई ऐसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं जिनमें लोगों को उनका मज़हब पूछकर निशाना बनाया गया। केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार होने के कारण स्वाभाविक रूप से बीजेपी के सभी नेता और कार्यकर्ता इस क़ानून के समर्थक में थे। लेकिन दिल्ली के दंगों में दंगाइयों ने बीजेपी के नेता की फ़ैक्ट्री को भी फूंक दिया। बीजेपी नेता होने के कारण दंगाइयों ने उनका नुक़सान नहीं करना चाहिये था लेकिन यहां दंगाइयों ने उनके मजहब के कारण उनकी फ़ैक्ट्री को निशाना बनाया।
अतीक़ बताते हैं कि वह पिछले 16-17 साल से बीजेपी के ज़मीनी कार्यकर्ता हैं। अतीक़ कहते हैं, ‘दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी की ही तरह मैं भी बिहार से हूं। वह मुझे जानते हैं। लेकिन मेरा मुसलमान वाला नाम है, हमें तो पराया ही कर दिया।’
अतीक़ ने अख़बार को बताया कि उन्होंने 14 साल पहले बिजनेस शुरू किया था और यह फ़ैक्ट्री किराये की जगह में चल रही है। अतीक़ कहते हैं, ‘जैसे ही हिंसा शुरू हुई, मैंने अपने कर्मचारियों से पैक अप करने के लिये और काम छोड़ देने के लिये कहा। जब मुझे फ़ैक्ट्री में आग लगने की सूचना मिली तब मैं घर पर था।’ अतीक़ ने अख़बार से कहा कि उस वक़्त वह असहाय थे।
अतीक़ कहते हैं कि उनके समुदाय के लोग उनके बीजेपी से जुड़े होने को लेकर अक़सर सवाल करते हैं। अतीक़ ने अख़बार से कहा, ‘मैंने प्रधानमंत्री के सबका साथ, सबका विकास में भरोसा किया और जो लोग बीजेपी की आलोचना करते थे, मैं उनके साथ बहस करता था।’ अतीक़ ने कहा कि अब वे लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि पार्टी ने मेरे लिये क्या किया और मेरे पास कोई जवाब नहीं है।
अतीक़ कहते हैं, 'मैंने अब तक बीजेपी नहीं छोड़ी है लेकिन अगर पार्टी मुझसे संपर्क नहीं करेगी तो मैं आने वाले दिनों में पार्टी को अलविदा कह दूंगा।' वह कहते हैं, ‘मैं सड़क पर आ गया हूं, फिर कैसे अपने पैरों पर खड़ा होऊं।’
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