दिल्ली के पटपड़गंज में स्थित नामी अस्पताल मैक्स सुपर स्पेशलिटी पर गंभीर आरोप लगा है। यमन के रहने वाले महफूद क़ासिम अली आमेर अल गरदी नाम के शख्स ने कहा है कि अस्पताल और लुबना एलिसेड नाम की दुभाषिया ने उसकी पत्नी और बच्चे के पासपोर्ट जमा कर लिए और इस वजह से वे लोग अपने देश वापस नहीं लौट सके।
मामले में शिकायतकर्ता महफूद क़ासिम अली ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उनकी पत्नी और बच्चे का पासपोर्ट वापस करने का अनुरोध किया था।
याचिका में यह भी अनुरोध किया गया था कि अदालत एक मेडिकल बोर्ड के गठन का निर्देश दे जिससे उनके बच्चे की सेहत की जांच हो सके। इस बच्चे का मई और अप्रैल में मैक्स अस्पताल में दो बार ऑपरेशन हुआ था।
दिल्ली हाई कोर्ट ने यमन के दूतावास के द्वारा 10 जून, 2022 को दिल्ली पुलिस से की गई शिकायत का संज्ञान लिया है। हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा ने निर्देश दिया है कि मधु विहार थाने के एसएचओ इस मामले में दायर याचिका पर जवाब दें। मामले में अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी।
लुबना को किसने रखा?
हाई कोर्ट में अस्पताल की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता की पत्नी और उसके बच्चे के पासपोर्ट अस्पताल के पास नहीं हैं। याचिकाकर्ता के वकील की ओर से कहा गया कि दुभाषिया लुबना को अस्पताल की ओर से रखा गया था जबकि अस्पताल की पैरवी कर रहे वकील ने अदालत से कहा कि दुभाषिया उनकी कर्मचारी नहीं है और पहले वह यमन दंपत्ति को किसी दूसरे अस्पताल में ले गई थी।
शिकायतकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि अस्पताल और दुभाषिये ने उनसे इलाज के लिए काफी ज्यादा पैसा ले लिया। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि अस्पताल की ओर से 17 मई को मां और बच्चे के पासपोर्ट किसी बहाने से ले लिए गए और जब वे इस मामले को दूतावास तक ले गए तो जून में उन्हें कुछ बिल दिए गए।
यमन के दूतावास की ओर से अस्पताल को भेजी गई शिकायत में कहा गया था कि मरीज के इलाज का अनुमानित खर्च 7000 से 7500 डॉलर के बीच होना चाहिए था लेकिन बच्चे के माता-पिता इसकी दोगुनी रकम दे चुके हैं। शिकायत में कहा गया था कि अस्पताल और दुभाषिया लड़की ने इसके लिए कोई बिल नहीं दिया और मां और बच्चे का पासपोर्ट भी नहीं लौटाया।
दुभाषिया लड़की पर आरोप है कि वह इससे पहले भी यमन के एक मरीज के साथ इस तरह की धोखाधड़ी कर चुकी है।
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