दिल्ली में चुनाव से कुछ समय पहले जब गृहमंत्री अमित शाह का आंबेडकर पर दिया गया विवादित बयान लगातार मुद्दा बन रहा था तो बीजेपी में दलित मतदाताओं को लेकर बेचैनी थी। पिछले दो चुनावों से दिल्ली की एससी आरक्षित सीटों में से एक भी नहीं जीतने वाली बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती थी। लेकिन जब शनिवार को चुनाव नतीजे आए तो बीजेपी ने एससी आरक्षित 4 सीटें जीत लीं। दिल्ली में एससी समुदाय की आबादी क़रीब 16 फीसदी है और कई सीटों पर तो 44 फ़ीसदी तक है। तो सवाल है कि कुल 48 सीटों की जीत में क्या दलित वोटरों का भी बड़ा हाथ है? यदि ऐसा है तो आख़िर बीजेपी ने दलित वोटों में सेंध कैसे लगाई?