दिल्ली पर केंद्र सरकार को और अधिकार देने वाले विवादास्पद विधेयक को सोमवार को लोकसभा में पास कर दिया गया। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2021 नाम के इस विधेयक के राज्य सभा से पास होने पर इसके क़ानून बनने का रास्ता साफ़ हो जाएगा। तब सिर्फ़ राष्ट्रपति का दस्तख़त बाक़ी रहेगा और गज़ट अधिसूचना जारी करने जैसी औपचारिकता ही बाक़ी रहेगी।
यह विधेयक सीधे तौर पर दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर को ज़्यादा अधिकार देता है। चूँकि लेफ्टिनेंट गवर्नर केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं इसलिए जाहिर तौर पर यह अधिकार केंद्र सरकार के हाथों में होता है।
अब तक दिल्ली की विधानसभा सिर्फ़ तीन मामलों में क़ानून नहीं बना सकती है— पुलिस, शांति-व्यवस्था और भूमि लेकिन इस विधेयक के क़ानून बनते ही अब हर क़ानून के लिए उसे उप-राज्यपाल से सहमति लेनी होगी। वह किसी भी विधेयक को क़ानून बनने से रोक सकता है।
2018 में सुप्रीम कोर्ट की पाँच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने माना था कि पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और ज़मीन के अलावा अन्य मुद्दों पर उपराज्यपाल की सहमति ज़रूरी नहीं है। हालाँकि कोर्ट ने यह ज़रूर कहा था कि निर्णय से उपराज्यपाल को सूचित करना होगा।
संविधान पीठ ने यह भी कहा था कि दिल्ली के उपराज्यपाल का दर्जा किसी राज्य के राज्यपाल का नहीं है, बल्कि वह एक सीमित अर्थ में प्रशासक बने हुए हैं।
Passage of GNCTD amendment Bill in Lok Sabha today is an insult to the people of Delhi. The Bill effectively takes away powers from those who were voted by people and gives powers to run Delhi to those who were defeated. BJP has cheated the people
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 22, 2021
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