loader
प्रतीकात्मक और फाइल फोटो

चुनाव आयोग ने कहा वह इंडिया गठबंधन नाम पर रोक नहीं लगा सकता 

भारतीय चुनाव आयोग ने सोमवार को दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल एक हलफनामे में कहा है कि वह राजनैतिक गठबंधन को रेग्युलेट नहीं कर सकता। आयोग ने कहा कि उसे जन प्रतिनिधित्व अधिनियम या संविधान के तहत रेग्युलेटरी संस्था के रूप में मान्यता नहीं है। 
चुनाव आयोग ने कहा कि उसका गठन भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत संसद, राज्य विधानसभाओं और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों के संचालन के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण के लिए किया गया है। 
आयोग ने कहा कि उसे जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29ए के तहत व्यक्तियों के संघों या निकायों को राजनीतिक दलों के रूप में पंजीकृत करने का अधिकार प्राप्त है, राजनीतिक गठबंधनों को अधिनियम या संविधान के तहत विनियमित संस्थाओं के रूप में मान्यता नहीं दी जाती है।
चुनाव आयोग ने यह हलफनामा उस याचिका के जवाब में दाखिल किया है जिसमें चुनाव आयोग से विपक्षी इंडिया गठबंधन को इंडिया नाम का इस्तेमाल करने से रोकने की मांग की गई थी। 
यह इंडिया गठबंधन 18 जुलाई 2023 को विपक्षी दलों ने बनाया था। इसमें करीब दो दर्जन विपक्षी दल शामिल है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त 2023 को 26 राजनैतिक दलों को अपने गठबंधन का नाम इंडिया रखने और इसका उपयोग करने से रोक की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था। 

जनहित याचिका दाखिल कर जताई गई थी चिंता 

चुनाव आयोग ने यह हलफनामा गिरीश भारद्वाज नाम के एक व्यवसायी द्वारा दायर जनहित याचिका के जवाब में दिया है। अपनी याचिका में, भारद्वाज ने तर्क दिया था कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए राष्ट्रीय प्रतीक का एक अनिवार्य हिस्सा, इंडिया के नाम और प्रतीक का इस्तेमाल अनुचित उपयोग की रोकथाम अधिनियम, 1950 का उल्लंघन है।

उन्होंने चिंता व्यक्त की है कि इससे 2024 में लोकसभा चुनाव के दौरान शांतिपूर्ण, पारदर्शी और निष्पक्ष मतदान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है, जिससे संभावित रूप से अनुचित हिंसा हो सकती है और देश की कानून व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।

हालांकि, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि उसके इस हलफनामे को विपक्षी गठबंधन द्वारा संक्षिप्त नाम 'INDIA' के उपयोग की वैधता पर मोहर के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। इसने कहा कि इसकी भूमिका राजनीतिक दलों के पंजीकरण तक ही सीमित है और राजनीतिक गठजोड़ को रेग्युलेट करने तक इसका विस्तार नहीं है।  
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

दिल्ली से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें