अगर आपका वास्ता दिल्ली से है या आप दिल्ली में रहते हैं तो दिल्ली पुलिस की पीसीआर से तो परिचित ही होंगे। दिल्ली में बारिश से पानी भरे या कहीं कोई झगड़ा हो, हर छोटे-बड़े हादसों के लिए लोग पीसीआर को ही याद करते हैं। पहले यह सुविधा 100 नंबर के माध्यम से थी अब सरकार ने 112 नंबर को हेल्पलाइन बना दिया है। इसी नंबर से दिल्ली पुलिस की पीसीआर को भी कॉल्स मिलती हैं। कोरोना काल में पुलिस ने महामारी से संबंधित विवरणों की अलग से तैयारी की थी। यही विवरण ये बताते हैं कि दिल्ली में कोरोना के हालात कैसे सुधरते चले गए।
दिल्ली पुलिस नियंत्रण कक्ष (पुलिस कंट्रोल रूम, पीसीआर) में आने वाले कॉल्स बताते हैं कि दिल्ली में कोरोना के हालात कितनी तेज़ी से सुधरे हैं। मेरे हाथ एक्सक्लूसिव तरीक़े से लगी कोरोना काल के दौरान की पीसीआर कॉल्स की डिटेल्स काफ़ी कुछ कहती है। 22 मार्च से 11 अगस्त के बीच आने वाले कॉल्स यह बताने के लिए काफ़ी हैं कि लोगों के बीच सर्वाधिक बेचैनी लॉकडाउन को लेकर थी।
कोरोना काल में दिल्ली पुलिस पीसीआर वैन को सबसे ज़्यादा कॉल लॉकडाउन से संबंधित मिले। दिल्ली पुलिस पीसीआर वैन ने 67911 (22 मार्च- 11अगस्त 2020) कॉल को अटेंड किया। लॉकडाउन के सबसे ज़्यादा कॉल 22 से 31 मार्च के बीच (22814) आए थे। इसके बाद इस तरह के कॉल्स की संख्या कम हुई और इस महीने यानी 1-11 अगस्त के बीच केवल 46 कॉल्स मिले हैं।
दिल्ली पुलिस की पीसीआर को मिलने वाली कॉल्स दिल्ली में कोरोना के फैलाव और सरकारी कोशिशों से उसमें आई भारी कमी को दर्शाने के लिए भी काफ़ी हैं। दिल्ली पुलिस पीसीआर की वैन ने इस दौरान (22 मार्च- 11 अगस्त 2020) कोरोना वायरस से संबंधित 3847 कॉल्स अटेंड किए। लेकिन कोरोना वायरस से संबंधित कॉल्स सबसे ज़्यादा 22-31 मार्च के दौरान 3453 थे, जबकि 1-15 अप्रैल के दौरान 230, 16-30 अप्रैल के दौरान 164 थे। इसके बाद दिल्ली पुलिस के पास कोरोना वायरस से संबंधित कोई कॉल्स नहीं आया।
कोरोना संदिग्ध
दिल्ली पुलिस पीसीआर वैन को कोरोना संदिग्धों के बारे में भी ख़ूब कॉल्स मिले। 22 मार्च से 11 अगस्त के दौरान पीसीआर वैन ने 12797 कॉल्स अटेंड किए। कोरोना संदिग्धों के बारे में सर्वाधिक कॉल्स 1-15 अप्रैल के बीच (3062) मिले। 22-31 मार्च के दौरान इसकी संख्या 1029 थी। 16-30 अप्रैल के बीच 3018, 1-15 मई के बीच 2235, 16-31 मई के बीच 1414, 1-15 जून के बीच 1159, 16-30 जून के बीच 455, 1-15 जुलाई के बीच 226, 16-31 जुलाई के बीच 154 और 1-11 अगस्त के बीच 45 रहे।
उपरोक्त आँकड़े यह बताने के लिए काफ़ी हैं कि दिल्ली में कोरोना को लेकर 22-31 मार्च के बीच उतनी ख़राब हालत नहीं थी, ना ही लोगों में बेचैनी।
प्रवासी मज़दूर
जिन प्रवासी मज़दूरों को राजनीतिक मुद्दा बनाया गया उनके संबंध में भी दिल्ली पुलिस पीसीआर को मिलने वाले कॉल्स दूसरी कहानी बताते हैं। दिल्ली पुलिस की पीसीआर को प्रवासी मज़दूरों से संबंधित सबसे ज़्यादा कॉल्स 1-31 मई के बीच मिले। इस दौरान ऐसे 436 कॉल्स पुलिस को मिले थे। प्रवासी मज़दूरों से संबंधित कॉल्स आने की रफ्तार 16 अप्रैल से शुरू हुई थी। 16-30 अप्रैल के दौरान पुलिस को 54 कॉल्स मिले थे। इसके पहले प्रवासी मज़दूरों से संबंधित कोई कॉल्स नहीं थे। 1-15 जून के बीच 5 और 16-30 जून के बीच प्रवासी मज़दूरों से संबंधित 1 कॉल मिला। इसके बाद इस तरह के कॉल्स बंद हैं। इससे ज़ाहिर होता है कि प्रवासी मज़दूरों की समस्या भी उतनी विकराल नहीं थी जितनी सरकारी स्तर पर फैलाई गई।
स्वास्थ्य कर्मियों पर हमले
अब डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों पर होने वाले हमलों पर बात कर लेते हैं। दिल्ली पुलिस पीसीआर वैन को कोरोना काल में डॉक्टरों और स्वास्थयकर्मियों पर हमले की भी कई सूचनाएँ मिलीं। 22-31 मार्च के बीच इस तरह की एक भी संख्या नहीं थी लेकिन 1-15 अप्रैल के बीच 15, 16-30 अप्रैल के बीच 42, 1-15 मई के बीच 21, 16-31 मई के बीच 10, 1-15 जून के बीच 25, 16-30 जून के बीच 13, 1-15 जुलाई के बीच 8, 16-31 जुलाई के बीच 4 और 1-11 अगस्त तक 6 है। यानी सर्वाधिक हमलों की सूचना 16 से 30 अप्रैल के बीच थी। याद कीजिए उस समय पीएम मोदी ने लॉकडाउन 2 का ऐलान किया था।
भूख से संबंधित 11474 कॉल
कोरोना काल में दिल्ली पुलिस की जिप्सी 8 सौ से ज़्यादा गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुँचाने का काम भी कर चुकी हैं। कोरोना काल के 22 मार्च से 11 अगस्त के बीच दिल्ली पुलिस पीसीआर वैन ने इस दौरान भूख से संबंधित 11474 काल्स को भी अटेंड किया। इस तरह के काल्स 22-31 मार्च के बीच 5349, 1-15 अप्रैल के बीच 4722, 16-30 अप्रैल के बीच 765, 1-15 मई के बीच 451, 16-31 मई के बीच 119, 1-15 जून के बीच 50, 16-30 जून के बीच 7, 1-15 जुलाई के बीच 8, 16-31 जुलाई के बीच 1 और 1-11 अगस्त के बीच 2 हैं।
दिल्ली पुलिस पीसीआर वैन को इस दौरान राशन से संबंधित 13809 कॉल्स मिले। इसमें सबसे ज़्यादा 16-30 अप्रैल के दौरान 5124 कॉल्स मिले। 1-15 अप्रैल के दौरान 4744, 1-15 मई के बीच 2890, 16-31 मई के बीच 664, 1-15 जून के बीच 224, 16-30 जून के बीच 125, 1-15 जुलाई के बीच 22, 16-31 जुलाई के बीच 13 और 1-11 अगस्त के बीच 3 कॉल्स हैं।
दिल्ली पुलिस को कोरोना से मौत को लेकर मिले कॉल्स पर नज़र डालें तो पता चलता है कि दिल्ली पुलिस को 22 मार्च से 15 अप्रैल तक कोरोना से हुई मौत की एक भी कॉल नहीं मिली थी। 16-30 अप्रैल के दौरान पुलिस को 14, 1-15 मई के दौरान 53, 16-31 मई के दौरान 80, 1-15 जून के दौरान 145, 16-30 जून के दौरान 78, 1-15 जुलाई के दौरान 31 , 16-31 जुलाई के दौरान 12 और 1-11 अगस्त के दौरान 4 सूचनाएँ मिलीं।
दिल्ली पुलिस के ये आँकड़े यह बताने के लिए काफ़ी है कि सरकारी कोशिशें कामयाब हुईं और इसीलिए दिल्ली में कोरोना पर काबू हो सका।
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