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दिल्ली हिंसा: दोनों तरफ़ से बने थे वाट्सऐप ग्रुप; क्राइम ब्रांच की दो और चार्जशीट

दिल्ली हिंसा की जाँच में पुलिस को दोनों तरफ़ से बने वाट्सऐप ग्रुप का पता लगा है। एक तरफ़ से बने वाट्सऐप ग्रुप में 125 लोग थे। इनमें से कुछ का काम संदेश रूपी निर्देश देने थे, कुछ के काम उनका पालन करना था जबकि बाक़ी निष्क्रिय थे। पुलिस ने केवल सक्रिय लोगों को ही आरोपी बनाया है। बाक़ी लोग गवाह के तौर पर रखे गए हैं। दूसरी तरफ़ के बने वाट्सऐप ग्रुप में ‘पिंजरा तोड़’, मरकज़ और पीएफ़आई से जुड़े लोग सक्रिय थे। पुलिस ने उनमें से भी कई की पहचान कर आरोपी बनाया है। 

पुलिस के मुताबिक़ पहले वाट्सऐप ग्रुप का सीधा संबंध गोकलपुरी में बरामद चार शवों के मामले से है। इनमें से हासिम अली और आमिर अली के मामले में पुलिस गुरुवार को चार्जशीट दाखिल कर चुकी है जबकि शुक्रवार को दाखिल दो भाइयों अकील और मुशर्रफ़ की चार्जशीट का संबंध भी इसी वाट्सऐप ग्रुप से जुड़ा है।

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शुक्रवार को दायर चार्जशीट में अकील और मुशर्रफ की हत्या का मामला है। कड़कड़डूमा अदालत में दाखिल की गई चार्जशीट गोकलपुरी थाने में दर्ज एफ़आईआर नंबर 36 और 38 के संबंध में है। ग़ौरतलब है कि दिल्ली हिंसा मामले में गोकलपुरी थाने में चार एफ़आईआर दर्ज की गई थी। इनमें से दो के बारे में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है।

ताज़ा चार्जशीट के मुताबिक़ भागीरथी विहार के जौहरीपुर में 25 और 26 फ़रवरी को हिंसा हुई थी। हिंसा मौजपुर के कर्दमपुरी से शुरू होकर डीआरपी स्कूल औऱ राजधानी पब्लिक स्कूल तक पहुँची थी। 27 फ़रवरी को सुबह क़रीब 9.40 बजे जौहरीपुर नाले से तीन शव बरामद किए गए। तीनों शव अज्ञात थे। उसी दिन शाम क़रीब 4 बजे एक और शव बरामद किया गया। इस मामले में एफ़आईआर नंबर 35, 36, 37 और 38 दर्ज किए गए। एफ़आईआर नंबर 36 और 38 दो सगे भाइयों अकील और मुशर्रफ के संबंध में दर्ज की गई थी। बाद में मामले की जाँच क्राइम ब्रांच की एसआईटी को दे दी गई।
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जाँच में पता लगा कि अक़ील अहमद कार मैकेनिक का काम करता था। उसके घर में पत्नी के अलावा 4 बच्चे थे। 26 फ़रवरी को रात क़रीब साढ़े नौ बजे न्यू मुस्तफाबाद से वह अपने घर वापस जा रहा था उसी समय भागीरथी विहार के जल बोर्ड पुलिया के पास उस पर भीड़ ने हमला कर दिया। फिर उसकी हत्या कर लाश जौहरीपुर नाले में फेंक दी गई।

delhi police file two more chargesheet in delhi riots case - Satya Hindi
अक़ील अहमद

दूसरे मामले की जाँच में पता लगा कि मुशर्रफ ऑटो चलाने का काम करता था। उसके घर में पत्नी और तीन बच्चे हैं। 25 फ़रवरी की शाम क़रीब साढ़े सात बजे दंगाइयों ने उसके इलाक़े की बिजली काट दी। फिर अंधेरे का लाभ उठाकर कुछ दंगाई उसे घर से बाहर खींचते हुए लाए और हत्या कर उसका शव खुले नाले में फेंक दिया। 

उपरोक्त दोनों मामले ऐसी जगहों पर अंजाम दिए गए जहाँ सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हुए थे। जाँच में कुछ लोगों के हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो पता लगा कि यह काम भी उसी वाट्सऐप ग्रुप से जुड़े लोगों का था जिसे 25-26 फ़रवरी को बनाया गया था। इस ग्रुप में 125 लोग थे। ग्रुप के कई सदस्य साइलेंट थे। कुछ संदेश दे रहे थे तो कुछ इन संदेशों पर अमल कर रहे थे। अकील के मामले में दस लोग गिरफ्तार किए गए जबकि मुशर्रफ के मामले में 9 लोगों की गिरफ्तारी हुई।

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आलोक वर्मा
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