दिल्ली हाई कोर्ट ने हिंसा पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है। इसने कहा है कि अदालत में सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहें। कोर्ट का यह फ़ैसला उस याचिका पर आया है जो उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंसा से जुड़ी है। इस हिंसा में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई है और 250 से ज़्यादा लोग घायल हैं। इस हिंसा को रोकने में पुलिस के नाकाम रही है और इस पूरे मामले में पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं। आरोप लगाया जा रहा है कि पुलिस ने इस मामले में ढिलाई बरती। आरोप यह भी लगाया जा रहा है कि जब नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे लोगों के ख़िलाफ़ भड़काऊ बयानबाज़ी की गई तब भी दिल्ली पुलिस चुप रही। और हिंसा की आशंका होने के बावजूद पर्याप्त संख्या में पुलिस को नहीं तैनात किया गया।
माना जा रहा है कि कोर्ट दिल्ली पुलिस के रवैये के इस मामले को संज्ञान में लेगा। हिंसा के मामले में अदालत ने काफ़ी संवेदनशीलता दिखाई है। यही कारण है कि दिल्ली में हिंसा को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस मुरलीधर के घर आधी रात को सुनवाई हुई। नॉर्थ ईस्ट दिल्ली हिंसा में घायलों को बड़े सरकारी अस्पताल में भर्ती कराने और एंबुलेंस को सुरक्षा मुहैया कराने की माँग को लेकर याचिका दायर की गई थी। दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस मुरलीधर ने क़रीब 12 बजे सुनवाई की। जस्टिस मुरलीधर ने हिंसा में घायल हुए लोगों को सुरक्षित निकाल कर सरकारी अस्पतालों में ले जाने और उनका तत्काल उपचार सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था।
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