दिल्ली की अदालत ने दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना द्वारा दायर क़रीब 20 साल पुराने आपराधिक मानहानि मामले में नर्मदा बचाओ आंदोलन की संस्थापक मेधा पाटकर को दोषी ठहराया है। कानून के मुताबिक, उन्हें दो साल की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
वीके सक्सेना द्वारा दायर मानहानि मामले में मेधा पाटकर दोषी क़रार
- दिल्ली
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- 24 May, 2024
मेधा पाटकर 1985 में नर्मदा घाटी के पास रहने वाले लोगों के मुद्दों को उजागर करने के लिए नर्मदा बचाओ आंदोलन के माध्यम से सुर्खियों में आई थीं। जानिए, वीके सक्सेना ने क्या आरोप लगाए थे।

साकेत कोर्ट के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने यह फ़ैसला सुनाया है। पाटकर और दिल्ली एलजी दोनों ही साल 2000 से ही कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। मेधा पाटकर ने अपने ख़िलाफ़ और नर्मदा बचाओ आंदोलन के खिलाफ विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सक्सेना के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। इसके बाद एक टीवी चैनल पर सक्सेना के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने और मानहानिकारक प्रेस बयान जारी करने के लिए दिल्ली के मौजूदा एलजी ने पाटकर के खिलाफ दो मामले भी दर्ज कराए थे। वीके सक्सेना उस समय अहमदाबाद स्थित एनजीओ नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के प्रमुख थे।