सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वे में कहा गया है एनडीए को बढ़त दिलाने में नरेंद्र मोदी फैक्टर की बड़ी भूमिका बनी हुई है। हालांकि इस चुनाव में आजीविका से संबंधित मुद्दे भाजपा के लिए प्रमुख चिंता के रूप में उभर रहे हैं। इसमें कहा गया है कि भले ही भाजपा को बढ़त मिलती दिख रही है लेकिन चुनाव में कड़ी टक्कर संभव है।
द हिंदू अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव पूर्व हुए इस सर्वे में जब लोगों से पूछा गया कि आगामी लोकसभा चुनाव के बाद आप भारत के अगले प्रधानमंत्री के रूप में किसे पसंद करेंगे? तो करीब 48 प्रतिशत मतदाताओं ने प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी पसंद के रूप में नरेंद्र मोदी का नाम लिया है। वहीं 27 प्रतिशत ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को चुना है।
वहीं अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव को मात्र 3 प्रतिशत लोगों ने ही पीएम पद के लिए अपनी पसंद बताया है। इस तरह से देखे तो पूर्व की तुलना में राहुल गांधी को पीएम पद के लिए पसंद करने वालों की संख्या बढ़ी है।
द हिंदू की रिपोर्ट कहती है सर्वे में भाग लेने वाले लगभग 56 प्रतिशत लोगों ने पीएम मोदी की गारंटी पर "बहुत" या "कुछ हद तक" भरोसा करने की बात कही है। वहीं 49 प्रतिशत लोगों ने राहुल गांधी की गारंटी पर भी यही बात कहते हैं। सर्वे कहता है कि पीएम मोदी की गारंटी पर अमीर परिवारों द्वारा अधिक भरोसा किया गया था, जबकि मध्यम वर्ग ने दोनों पर समान भरोसा रखा है।
अंग्रेजी अखबार द हिंदू में छपी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सीएसडीएस-लोकनीति के इस चुनाव पूर्व सर्वे के अनुसार, 2024 के आम चुनाव शुरू होने से तीन हफ्ते पहले, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने अपने प्रतिद्वंद्वी इंडिया गठबंधन पर 12 प्रतिशत अंक की आरामदायक बढ़त हासिल की थी।
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नरेंद्र मोदी फैक्टर की बड़ी भूमिका बनी हुई है
एनडीए को बढ़त दिलाने में नरेंद्र मोदी फैक्टर की बड़ी भूमिका बनी हुई है। हालाँकि, इस चुनाव में आजीविका से संबंधित मुद्दे प्रमुख चिंता के रूप में उभर रहे हैं। समाज के विभिन्न वर्गों में बेरोजगारी और मुद्रास्फीति पर बढ़ता असंतोष इस बात का इशारा करता है कि चुनाव में कड़ी लड़ाई होने वाली है।यह सर्वे कहता है कि 2019 के चुनाव पूर्व सर्वे की तुलना में 2024 में एनडीए सरकार को मिलने वाले समर्थन में भी कमी दर्ज की गई है।
2019 के चुनावों से पहले हुए सर्वे में 65 प्रतिशत लोगों ने कहा था कि वे सरकार से "कुछ हद तक" या "पूरी तरह से" संतुष्ट थे।
2024 में ऐसे उत्तरदाताओं की हिस्सेदारी घटकर अब 57 प्रतिशत रह गई है. "कुछ हद तक" या "पूरी तरह से" असंतुष्ट लोगों की हिस्सेदारी 30 प्रतिशत से बढ़कर 39 प्रतिशत हो गई है। विशेष रूप से, उत्तर और पश्चिम भारत की तुलना में दक्षिणी राज्यों में सरकार को लेकर लोगों की संतुष्टि अपेक्षाकृत कम देखी गई है।
सर्वे कहता है कि भाजपा नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को लेकर लोंगों में संतुष्टि की कमी मुद्रास्फीति, बढ़ती बेरोजगारी और गरीबी के कारण उपजी है।
विशेष रूप से, विपक्ष का समर्थन करने वाले मतदाताओं में से आधे से अधिक ने इन तीन कारकों को केंद्र सरकार और पीएम मोदी के प्रति अपनी असंतुष्टि का कारण बताया है।
एनडीए का समर्थन करने वाले मतदाताओं में से बड़ी संख्या ने "अयोध्या राम मंदिर" को इस सरकार का "सबसे सराहनीय कार्य" के तौर पर माना है। तीन में से एक ने मंदिर के निर्माण को पीएम मोदी द्वारा किया जाने वाला सबसे प्रशंसित कार्य बताया है।
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