Delhi Congress Chief Sheila Dikshit: A unanimous decision has been taken that there will be no alliance in Delhi pic.twitter.com/nnmhnthY6g
— ANI (@ANI) March 5, 2019
पिछली लोकसभा में हो गया था सफ़ाया
बता दें कि पिछले लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सीटों पर बीजेपी ने अपना परचम लहराया था। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मुँह ताकते रह गए थे। इसको ध्यान में रखते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार कांग्रेस से गठबंधन करने की गुहार लगाते रहे। उन्होंने कई बार कहा कि वह गठबंधन के लिए तैयार हैं लेकिन कांग्रेस ही नहीं मान रही। लेकिन अब साफ़ हो गया है कि केजरीवाल की बात को कांग्रेस ने बिल्कुल तवज्जो नहीं दी है।कांग्रेस-बीजेपी का है गठबंधन!
कांग्रेस के द्वारा 'आप' के साथ गठबंधन न करने के एलान के बाद अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, 'जब पूरा देश मोदी-शाह की जोड़ी को हराना चाहता है, उस वक़्त कांग्रेस, बीजेपी विरोधी वोट को बाँटना चाहती है। अफ़वाह यह भी है कि कांग्रेस और बीजेपी में गुप्त समझौता है। दिल्ली कांग्रेस और बीजेपी के गठबंधन के ख़िलाफ़ लड़ने को तैयार है।'At a time when the whole country wants to defeat Modi- Shah duo, Cong is helping BJP by splitting anti-BJP vote. Rumours r that Cong has some secret understanding wid BJP. Delhi is ready to fight against Cong-BJP alliance. People will defeat this unholy alliance. https://t.co/JUsYMjxCxy
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 5, 2019
माकन को हटना पड़ा था
गठबंधन की चर्चा ने तब काफी ज़ोर पकड़ा था जब अजय माकन को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटा दिया गया। माकन के इस्तीफ़े के साथ ही यह माना जा रहा था कि ‘आप’ और कांग्रेस साथ-साथ आ सकते हैं। क्योंकि माकन कई बार कांग्रेस और आप के गठबंधन की खुलेआम मुख़ालफ़त कर चुके थे। माकन के बाद शीला दीक्षित को प्रदेश कांग्रेस की बागडोर दी गई।
पिछले दिनों गठबंधन की चर्चाओं के बीच दोनों दलों के बीच खटास तब बहुत ज़्यादा बढ़ गई थी जब 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों को लेकर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी से भारत रत्न सम्मान वापस लेने वाला प्रस्ताव दिल्ली की विधानसभा में लाया गया था। यह घटना हुई थी दिसंबर 2018 में। इस पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। इसके बाद दोनों दलों के संबंध ख़राब हुए और माना गया था कि गठबंधन की बात खटाई में पड़ सकती है।
अलग लड़े तो दोनों रहेंगे नुक़सान में
विपक्षी एकता की वकालत करने वालों का कहना है कि अगर दोनों दल अलग-अलग लड़ते हैं तो बीजेपी विरोधी वोटों के बंटने का ख़तरा है और इससे दोनों दलों को नुक़सान होगा। इसलिए बीजेपी को हराने के लिए दोनों दलों का साथ आना सियासी मज़बूरी माना जा रहा था। लेकिन कांग्रेस का एक धड़ा ‘आप’ से गठबंधन के लिए बिलकुल तैयार नहीं था।
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