गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि, आजादी के बाद पहली बार, देश में एक ऐसा नेता जनता के सामने आया है, जिसके पास 10 साल का ट्रैक रिकॉर्ड है और 25 साल का एजेंडा है।
बीते 10 वर्षों में मोदी जी ने राजनेताओं के वादों पर जनता का भरोसा कायम करने का काम किया है।पहले जनता मान चुकी थी कि चुनाव के वक्त नेता बोलते हैं, इन पर क्या भरोसा करना। लेकिन 2014 से लेकर 2024 तक किए गए सारे वादे पूरे कर, 2024 में जनता से बहुमत मांगने जा रहे हैं।
ईवीएम को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि ईवीएम में कोई खामी है तो आप हिमाचल में कैसे जीते, तेलंगाना में कैसे जीते, ममता दीदी बंगाल में कैसे जीत गईं?
जब आप जीत जाते हैं, तो शपथ ले लेते हैं और ईवीएम में परेशानी नहीं होती है, लेकिन जब हार जाते हैं, तो ईवीएम को गाली देने लगते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे लिए राम मंदिर राजनीतिक फायदे का नहीं, आस्था का मुद्दा है। कांग्रेस भी अगर राम मंदिर बनाती, तो हम इतने ही खुश होते।
राम मंदिर को चुनाव के साथ नहीं जोड़ना चाहिए, ये भाजपा की प्रकृति नहीं है। राम मंदिर इस देश की संस्कृति को फिर से एक बार मजबूत करने का मुद्दा है।
कांग्रेस पार्टी 70 वर्षों में से नहीं कर पाई जो हमने 10 वर्षों में किया है। इन्होंने सिर्फ 'गरीबी हटाओ' का नारा दिया, मोदी जी ने 25 करोड़ों गरीबों को गरीबी रेखा से बाहर निकाला है।
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क्या दबाव में है भाजपा ?
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इंडिया टुडे को दिए इस साक्षात्कार भले ही यह साफ कर दिया कि संविधान से सेक्युलर शब्द हटाने की हमें कोई जरूरत नहीं है। लेकिन भाजपा के 10 वर्षों के शासनकाल में ही सेक्यूलर शब्द को गाली की तरह प्रयोग किया जाने लगा है। टीवी चैनलों की डिबेट हो या राजनैतिक गलियारा सेक्यूलर शब्द को कई भाजपा नेता और उनके समर्थक गाली की तरह इस्तेमाल करते हैं।माना जा रहा है कि हाल के दिनों में भाजपा पर यह आरोप तेजी से लगा है कि संविधान बदलना चाहती है। आरोप यह भी लग रहे हैं कि भाजपा संविधान की प्रस्तावना से सेक्यूलर शब्द को हटाना चाहती है। इन आरोपों के बाद भाजपा काफी दबाव में है।
उसे बार-बार सफाई देनी पड़ रही है कि वह संविधान को नहीं बदलना चाह रही है। गृहमंत्री अमित शाह के इस इंटरव्यू में सेक्यूलर शब्द को लेकर दिए गए बयान को भी भाजपा पर बढ़ते दबाव से जोड़कर देखा जा रहा है।
भाजपा के कई नेता पूर्व में संविधान बदलने की बात कह चुके हैं। ऐसे में भाजपा को लग रहा है कि आम जनता में इसको लेकर एक गलत संदेश जा सकता है। इसलिए पीएम मोदी समेत कई वरिष्ठ नेता बार-बार कह रहे हैं कि उनका संविधान बदलने का कोई इरादा नहीं है। पीएम मोदी तो यहां तक कह चुके हैं कि अगर स्वयं बाबा साहब भीमराव अंबेडकर भी आ जाएं तो वह भी संविधान नहीं बदल सकते हैं।
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