दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) की प्रचंड जीत के बाद पार्टी से 24 घंटे में ही 10 लाख से ज़्यादा लोग जुड़े हैं। पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर यह जानकारी दी है। आप की ओर से राष्ट्र निर्माण अभियान लांच किया गया है। अभियान के तहत लोगों से अपील की गई है कि वे पार्टी से जुड़कर देश के विकास का रास्ता तैयार करें। पार्टी ने एक नंबर 9871010101 भी जारी किया है। पार्टी ने कहा है कि इस नंबर पर मिस्ड कॉल करके कोई भी व्यक्ति पार्टी से जुड़ सकता है।
दिल्ली में पार्टी की जीत के बाद मीडिया में इस तरह की ख़बरों का बाज़ार गर्म है कि पार्टी अपना और विस्तार करेगी और आने वाले कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव में कूदेगी। जनलोकपाल आंदोलन से निकली ‘आप’ की स्थापना अरविंद केजरीवाल ने 2012 में की थी। ‘आप’ ने 2013 के अपने पहले ही विधानसभा चुनाव में लोगों को हैरान कर दिया था जब उसे दिल्ली में 28 सीटें मिली थीं। तब उसने कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी लेकिन यह सरकार ज़्यादा दिन नहीं चली थी और 49 दिन में केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था।
इसके बाद ‘आप’ को 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत मिली थी और उसने 70 में से 67 सीटों पर फतेह हासिल की थी। इस बार के विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी ने अपने सारे संसाधन झोंक दिये थे और धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण कराने की पूरी कोशिश की तब भी आप को 62 सीटें मिली हैं। कांग्रेस इस बार भी अपना खाता नहीं खोल सकी और 63 सीटों पर उसके उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। ‘आप’ को इस बार 53.57%, बीजेपी को 38.51% और कांग्रेस को महज 4.26% वोट मिले हैं।
केजरीवाल ने अपने पहले ही विधानसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट से शीला दीक्षित को हराया था। इसके बाद वह 2015 और इस बार भी इस सीट से चुनाव जीते हैं। ‘आप’ के इस सफर में कई पुराने नेताओं ने पार्टी का साथ भी छोड़ा है लेकिन बावजूद इसके पार्टी ने इस बार के चुनाव में बड़ी जीत हासिल की है।
2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में सारी सीटें जीतने के बाद माना जा रहा था कि बीजेपी विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करेगी लेकिन चुनाव नतीजे आने के बाद साफ है कि ‘आप’ ने उसे धूल चटा दी है। जीत के बाद ‘आप’ को विपक्षी दलों के नेताओं की ओर से बधाई मिली है। विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा है कि यह बीजेपी की नफ़रत की राजनीति की हार है। कहा यह जा रहा है कि अगर ‘आप’ दूसरे राज्यों में भी अपनी सक्रियता बढ़ाये तो वह बीजेपी के लिये चुनौती बन सकती है।
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