ईडी द्वारा गिरफ़्तार किए जाने के बाद भी अरविंद केजरीवाल ही दिल्ली सरकार को चलाएंगे। आम आदमी पार्टी ने इसकी घोषणा की है। इसने कहा है कि केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
केजरीवाल की गिरफ़्तारी की ख़बरों के बाद आप नेता आतिशी ने एएनआई से कहा, 'हमें ख़बर मिली है कि ईडी ने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया है... हमने हमेशा कहा है कि अरविंद केजरीवाल जेल से सरकार चलाएंगे। वह दिल्ली के सीएम बने रहेंगे। हमने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया है। हमारे वकील सुप्रीम कोर्ट पहुंच रहे हैं। हम आज रात सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई की मांग करेंगे।' आप ने ट्वीट कर कहा है, 'अरविंद केजरीवाल से मोदी डरते हैं'।
“मोदी का एक ही काल
— AAP (@AamAadmiParty) March 21, 2024
अरविंद केजरीवाल”
इसलिए केजरीवाल से डरता है Modi 🔥#IStandWithKejriwal
आम आदमी पार्टी ने कहा है कि केजरीवाल मोदी सरकार से डरने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'भगत सिंह ने देश को आज़ाद करवाने के लिए हंसते-हंसते फाँसी क़ुबूल की। अरविंद केजरीवाल ने भी तानाशाह मोदी से देश को मुक्ति दिलाने के लिए सिर पर कफ़न बांधा है। देशभक्त केजरीवाल डरेगा नहीं।'
पार्टी ने एक के बाद एक ट्वीट में कहा है, 'तानाशाह मोदी की अघोषित इमरजेंसी! दिल्ली पुलिस ने आप विधायक जरनैल सिंह, ऋतुराज झा, जय भगवान, अब्दुल रहमान को गिरफ़्तार किया। हम इन गिरफ़्तारियों से नहीं डरेंगे, हम आख़िरी साँस तक लड़ेंगे।'
इससे पहले केजरीवाल के घर ईडी के पहुँचने पर गिरफ़्तारी की आशंका जताई गई। आज ही दिन में हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तारी से सुरक्षा देने से इनकार कर दिया था। केजरीवाल के घर ईडी के पहुँचने पर सौरभ भारद्वाज ने कहा था, 'सीएम हाउस में किसी के पास फोन तक पहुँच नहीं है। हालांकि पहले कहा जा रहा था कि सर्च ऑपरेशन है, लेकिन लग रहा है कि गिरफ़्तार करने की तैयारी है। केंद्र सरकार केजरीवाल को गिरफ्तार कर लोगे, लेकिन उनकी सोच को गिरफ्तार नहीं कर पाओगे।'
चुनाव के चलते दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल को इस तरह टार्गेट करना एकदम गलत और असंवैधानिक है। राजनीति का स्तर इस तरह से गिराना न प्रधानमंत्री जी को शोभा देता है, न उनकी सरकार को।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) March 21, 2024
अपने आलोचकों से चुनावी रणभूमि में उतरकर लड़िये, उनका डटकर मुक़ाबला करिए, उनकी नीतियों…
उन्होंने आगे कहा, 'अपने आलोचकों से चुनावी रणभूमि में उतरकर लड़िये, उनका डटकर मुक़ाबला करिए, उनकी नीतियों और कार्यशैली पर बेशक हमला करिए - यही लोकतंत्र होता है। मगर इस तरह देश की सारी संस्थाओं की ताकत का अपने राजनीतिक मक़सद को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करना, दबाव डालकर उन्हें कमज़ोर करना लोकतंत्र के हर उसूल के ख़िलाफ़ है।'
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