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दो दिन का जी20 शिखर सम्मेलन, दिल्ली पर 4100 करोड़ रुपये ख़र्च!

जब शनिवार से जी20 शिखर सम्मेलन हो रहा होगा तो दिल्ली कुछ महीने पहले जैसी लुक से काफ़ी बदली-बदली सी दिखेगी! चमक-दमक होगी। बिल्कुल किसी अंतरराष्ट्रीय शहर की तरह आकर्षक भी! 4100 करोड़ रुपये से ज़्यादा ख़र्च जो हुए हैं।

सड़क पूरी तरह सुडौल। कहीं गड्ढों का नामोनिशान तक नहीं होगा! फुटपाथ बिल्कुल अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप। न तो उस पर अतिक्रमण होगा और न ही गंदगी होगी। रोड किनारे लगे साइन बोर्ड दुरुस्त और बिल्कुल सही जगहों पर होंगे। सड़क की रोशनी भी पूरी तरह दुरुस्त। यातायात पुलिस भी अपनी जगह पर चुस्त-दुरुस्त और पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था भी बेहद सख़्त। यह सब इसलिए हो पाया है क्योंकि शनिवार से शुरू होने वाले दो दिवसीय आयोजन से संबंधित खर्चों के सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, जी20 शिखर सम्मेलन के लिए राजधानी को सजाने पर 4,100 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए।

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एक रिपोर्ट के अनुसार जी20 की तैयारियों में सुरक्षा, सड़कों, फुटपाथों, स्ट्रीट साइनेज और प्रकाश व्यवस्था के रखरखाव जैसी अहम चीजें शामिल हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार नौ सरकारी एजेंसियों- एनडीएमसी और एमसीडी जैसे नागरिक निकायों से लेकर रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले विभागों ने बागवानी सुधार से लेकर जी20 ब्रांडिंग तक पर काम किया।

आईटीपीओ, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय और सैन्य इंजीनियर सेवाओं जैसी केंद्रीय एजेंसियों के अलावा केंद्र सरकार के तहत राजधानी में काम करने वाली दिल्ली पुलिस, एनडीएमसी और डीडीए जैसी एजेंसियों ने 4100 करोड़ रुपये से अधिक में से 98% खर्च किया। अंग्रेजी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार एक अधिकारी ने कहा कि चूँकि अधिकांश संपत्ति निर्माण और रखरखाव एनडीएमसी और लुटियंस ज़ोन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में किया गया, इसलिए केंद्र सरकार के विभागों ने अधिकांश खर्च उठाए हैं।

कहा जा रहा है कि अतिथियों की संख्या अधिक होने की वजह से सुरक्षा व्यवस्था पर भी काफी खर्च हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार अधिकारी ने कहा है कि आईटीपीओ द्वारा किया गया खर्च केवल शिखर सम्मेलन के लिए नहीं है, बल्कि इसका संबंध भारत मंडपम जैसी दीर्घकालिक संपत्तियों के निर्माण से भी है।
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रिपोर्ट के अनुसार वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले आईटीपीओ ने क़रीब 3,600 करोड़ रुपये के बिल में से 87% से अधिक भुगतान किया, इसके बाद दिल्ली पुलिस ने 340 करोड़ रुपये और एनडीएमसी ने 60 करोड़ रुपये दिए।

द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के लोक निर्माण विभाग ने लगभग 45 करोड़ रुपये, केंद्रीय सड़क भूतल परिवहन मंत्रालय ने 26 करोड़ रुपये, दिल्ली विकास प्राधिकरण ने 18 करोड़ रुपये, दिल्ली के वन विभाग ने 16 करोड़ रुपये और एमसीडी ने 5 करोड़ रुपये खर्च किए।

रिपोर्ट के अनुसार अधिकारी ने यह भी कहा कि, 'सार्वजनिक स्थानों का सौंदर्यीकरण, विशेष रूप से मूर्तियों और स्ट्रीट फर्नीचर की श्रेणी के अंतर्गत आने वाली अन्य संपत्तियों को अगर कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी पहल के माध्यम से नहीं किया जाता, तो बहुत अधिक खर्च होता।'

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क़मर वहीद नक़वी
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