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फ़िल्म- अनपॉज्ड
डायरेक्टर- राज एंड डीके, निखिल अडवाणी, तनिष्ठा चटर्जी, अविनाश अरुण, नित्या मेहरा
स्टार कास्ट- सैयामी खेर, गुलशन देवैया, ऋचा चड्ढा, सुमित व्यास, इश्वाक सिंह, लिलेट दुबे, रिंकू राजगुरु, अभिषेक बनर्जी, गीतिका विद्या ओहल्यान, रत्ना पाठक शाह. शार्दुल भारद्वाज
स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म- अमेज़ॉन प्राइम वीडियो
रेटिंग- 3.5/5
देश भर में कोरोना महामारी फैली हुई है और मार्च में बचाव के लिए लॉकडाउन भी लगाया गया था। इस दौरान सभी ने कई तरह की परेशानियाँ झेलीं। जो लोग अपने घर से दूर थे, जिनका काम बंद हो गया था या जो अपने परिवार तक पहुँचने के लिए संघर्ष कर रहे थे। पिछले 9 महीनों में हमने काफ़ी कुछ देखा-सुना और हमारी ज़िंदगी में बदलाव के साथ ही एक ब्रेक भी लग गया। ऐसी ही कुछ कहानियों को लेकर फ़िल्म 'अनपॉज्ड' बनाई गई है। जिसमें कोरोना वायरस, वैक्सीन, सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और क्वारंटीन जैसे शब्द आपको वैसे ही सुनने को मिलेंगे, जैसे हम कुछ महीनों से सुनते आ रहे हैं।
ये एक एंथोलॉजी फ़िल्म है और अमेज़ॉन प्राइम वीडियो पर रिलीज़ हुई है। फ़िल्म 'अनपॉज्ड' में 5 अलग-अलग कहानियाँ हैं और जिन्हें पाँच डायरेक्टर्स ने मिलकर बनाया है। हर कहानी के किरदार अलग हैं। तो आइये बताते हैं कि इन कहानियों को किस तरह से दिखाया गया है और इसमें क्या है ख़ास।
डायरेक्टर: राज एंड डीके
पहले पार्ट 'ग्लिच' की कहानी में अहान (गुलशन देवैया) और आयशा हुसैन (सैयामी खेर) वर्चुअल डेटिंग के माध्यम से एक-दूसरे से मिलते हैं। वर्चुअल डेटिंग के ज़रिये दोनों मिलते हैं क्योंकि अभी भी कोरोना वायरस ख़त्म नहीं हुआ है। इनके लिए कोविड-19 एक इतिहास हो चुका है और अब कोविड-30 चल रहा है। पूरी दुनिया में 60 लाख लोग महामारी से मर चुके हैं और वर्क फ्रॉम होम की जगह एक नया शब्द जुड़ गया है, ईएफएच (एवरीथिंग फ्रॉम होम)। अहान को पता चलता है कि आयशा वैक्सीन की खोज में लगी है और एक वायरस वॉरियर है। यह बात जानने के बाद अहान डर के मारे भाग जाता है। अहान को इंफेक्शन का डर भी सता रहा है और आयशा पसंद भी आ जाती है। ऐसे में अहान क्या करेगा यह आपको फ़िल्म देखने के बाद पता चलेगा।
डायरेक्टर- निखिल अडवाणी
'अपार्टमेंट' की कहानी में जनता कर्फ्यू लगाया जा रहा है। ऐसे में एक फ्लैट में देविका (ऋचा चड्ढा) रहती है, जो मैगजीन ट्रू पेज की मालकिन है और उसका पति साहिल (सुमित व्यास) मैगज़ीन का एडिटर। देविका किसी बात से काफ़ी परेशान है और इसकी वजह से वो सुसाइड करने की कोशिश करती है। इत्तेफाक से उसी वक्त उसका पड़ोसी चिराग (इश्वाक सिंह) देविका के फ्लैट पर आ जाता है। लेकिन देविका सुसाइड क्यों करना चाहती है? क्या देविका लॉकडाउन से परेशान है या उसके पति के साथ उसका कोई झगड़ा हुआ है? यह सब आप फ़िल्म देखकर ही जान पाएँगे।
डायरेक्टर- तनिष्ठा चटर्जी
'रैट-अ-टैट' की कहानी में अर्चना जी (लिलेट दुबे) है, जो हर किसी को सही से मास्क पहनने की हिदायत देती रहती है। तो वहीं प्रियंका (रिंकू राजगुरु) है, जिसकी नौकरी जा चुकी है और अब खाने के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं। अर्चना जो कि अपने शिकायती व्यवहार के लिए जानी जाती है और कोरोना काल में साफ़-सफ़ाई का बेहद ध्यान रखती है। उनकी प्रियंका के साथ किस तरह से अच्छी बॉन्डिंग बनती है, यह जानने के लिए फ़िल्म देखनी होगी।
डायरेक्टर- अविनाश अरुण
हमने लॉकडाउन के दौरान देखा था कि सबसे ज़्यादा प्रवासी मज़दूरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। कई लोग अपने घर जाने के लिए पैदल निकल पड़े थे, तो वहीं कुछ लोग हज़ारों रुपये देकर घर पहुँच रहे थे। ऐसे ही कहानी 'विषाणु' में दिखाई गई है। एक मज़दूर परिवार है, जिसमें मनीष (अभिषेक बनर्जी) उसकी पत्नी सीमा (गीतिका विद्या ओहल्यान) और बेटा मोनू है। ये परिवार लॉकडाउन के बाद मुंबई में फँस गया है और मकान मालिक ने घर से निकाल दिया है। मनीष परिवार के साथ अपने गाँव जाना चाहता है लेकिन गाँव पहुँचाने के लिए प्राइवेट गाड़ी वाले इतने अधिक पैसे माँग रहे हैं कि वो देना नामुमकिन सा है। ऐसे में यह परिवार चोरी से एक फ्लैट में रहने लगता है। इस समस्या का हल मनीष कैसे निकालेगा? कैसे ये परिवार घर पहुँचेगा या पहुँचेगा भी या नहीं? यह आपको इस कहानी को देखने के बाद पता चलेगा।
डायरेक्टर- नित्या मेहरा
इस फ़िल्म की आख़िरी कहानी है 'चांद मुबारक'। उमा (रत्ना पाठक शाह), एक सीनियर सिटीज़न है और लॉकडाउन के दौरान दवाइयाँ लेने अकेले निकल पड़ती है। रास्ते में पुलिस वाले उमा को रोकते हैं और एक ऑटो में बिठाकर मेडिकल स्टोर तक भेजते हैं। ऑटो वाला रफीक (शार्दुल भारद्वाज) एक भला इंसान है और वह उमा की हर मदद करता है। उमा और रफीक के बीच मदद से शुरू हुआ यह साथ, कैसे प्यारी सी दोस्ती में बदल जाता है। यह आपको इस प्यारी सी कहानी को देखने के बाद पता चलेगा।
राज एंड डीके द्वारा बनाई गई 'ग्लिच' में कहानी दिलचस्प लगती है लेकिन यह लव स्टोरी उतना ख़ास प्रभाव नहीं छोड़ पाती। निखिल अडवाणी ने 'अपार्टमेंट' का अच्छा निर्देशन किया है और इसकी कहानी एक उम्मीद जगाती है, उस वक़्त जब आप हार मानने का विचार कर रहे होते हैं। तनिष्ठा बनर्जी द्वारा निर्देशित 'रैट-अ-टैट' की साधारण सी कहानी है और उसका निर्देशन भी उसी तरीक़े से किया गया है। 'विषाणु' का निर्देशन अविनाश अरुण ने किया है। इस कहानी में निर्देशक ने लाचारी और सच्चाई को दिखाया है लेकिन यह कहानी उतना प्रभाव नहीं छोड़ पाती। इस कहानी को थोड़ा और बढ़ाना चाहिये था। इसके अलावा 'चांद मुबारक' का डायरेक्शन नित्या मेहरा ने किया है। फ़िल्म 'अनपॉज्ड' की सबसे प्यारी कहानी यही है। निर्देशक ने इस कहानी को साधारण तरीक़े से बनाया है लेकिन यह आपके दिल को छू जायेगी।
फ़िल्म 'अनपॉज्ड' में एक्टिंग के मामले में किसी भी किरदार के नंबर नहीं काटे जा सकते क्योंकि सभी ने अपने रोल को बेहतरीन तरीक़े से स्क्रीन पर पेश किया है। सैयामी खेर, गुलशन देवैया, ऋचा चड्ढा, सुमित व्यास, इश्वाक सिंह, लिलेट दुबे, रिंकू राजगुरु, अभिषेक बनर्जी, गीतिका विद्या ओहल्यान, रत्ना पाठक शाह और शार्दुल भारद्वाज सभी स्टार्स ने शानदार परफॉर्मेंस दी है।
कोरोना महामारी और लॉकडाउन दोनों ने ही हमारी ज़िंदगी पर कुछ न कुछ असर डाला ही है। फ़िल्म 'अनपॉज्ड' को इसी के ईर्द-गिर्द बुना गया है। फ़िल्म की कुछ कहानियों में आपको थोड़ी सी कमी लग सकती है लेकिन उसे आसानी से नज़रअंदाज़ किया जा सकता है। इसके अलावा फ़िल्म के गाने भी बेहतरीन हैं। ख़ास तौर पर 'सब कुछ मुमकिन है, अगर तुझमें उम्मीद है', जो आपको फ़िल्म ख़त्म होने के बाद उसके क्रेडिट्स के साथ सुनने को मिलेगा। फ़िल्म 'अनपॉज्ड' की अवधि 2 घंटे की है और आप इसे एक बार आराम से देख सकते हैं।
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