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मिसेज सीरियल किलर की कहानी कमज़ोर, मनोज बाजपेयी की एक्टिंग दमदार

फ़िल्म- मिसेज सीरियल किलर

डायरेक्टर- शिरीष कुंदर 

स्टार कास्ट- मनोज बाजपेयी, जैकलीन फर्नांडिस, मोहित रैना, दर्शन ज़रीवाला

ओटीटी प्लेटफॉर्म- नेटफ्लिक्स

शैली- क्राइम-थ्रिलर

रेटिंग- 1.5/5

आज कल जब भी नेटफ्लिक्स या अमेज़न प्राइम जैसे प्लेटफ़ॉर्म पर कुछ भी रिलीज़ होता है तो दर्शकों को उन फ़िल्मों और सीरीज़ से ज़्यादा उम्मीदें होती है। आये दिन एक्शन, थ्रिलर और क्राइम की फ़िल्में रिलीज़ होती रहती हैं और लोग इसे देखने के लिए काफ़ी इंतज़ार भी करते हैं। इसी में से एक फ़िल्म मिसेज सीरियल किलर नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई है। इस फ़िल्म को शिरीष कुंदर ने डायरेक्ट किया है और इसमें लीड रोल में एक्टर मनोज बाजपेयी, जैकलीन फर्नांडिस, मोहित रैना हैं। फ़िल्म मिसेज सीरियल किलर की कहानी में क्राइम और सस्पेंस के साथ सीरियल कीलिंग दिखाई गई है जैसा कि इसके नाम से पता ही चल रहा है। तो आइए जानते हैं कि क्या है इस नई फ़िल्म में-

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मिसेज सीरियल किलर की कहानी

फ़िल्म मिसेज सीरियल किलर की कहानी कुछ इस तरह से शुरू होती है- डॉ. मृत्यंजय मुखर्जी (मनोज बाजपेयी) को 5 बिना शादी के प्रेग्नेंट लड़कियों के क़त्ल के इल्ज़ाम में पुलिस अफ़सर इमरान (मोहित रैना) गिरफ्तार कर लेता है। डॉक्टर की पत्नी शोना (जैकलीन फर्नांडिस) को पूरा यक़ीन है कि उसके पति ने कुछ नहीं किया। शोना वकील (दर्शन जरीवाला) की मदद लेती है। सारे सबूत डॉ. मुखर्जी के ख़िलाफ़ है। ऐसे में बड़ा मुश्किल है कि उन्हें जेल से बाहर निकाला जाए। वकील साहब शोना से कहते हैं कि अगर कोई और ऐसे ही क़त्ल कर देगा तो साबित होगा कि सीरियल किलर कोई और है। फ़िल्म की इतनी ही कहानी हम आपको बता सकते हैं क्योंकि और बता दी तो भेद खुल जायेगा। अब शोना आगे अपने पति को बचाने के लिए क्या करती हैं? क्या वाक़ई सीरियल किलर डॉ. मुखर्जी ही हैं या कोई उन्हें फँसा रहा है? यह सब जानने के लिए आपको नेटफ्लिक्स की यह फ़िल्म देखनी पड़ेगी।

डायरेक्शन

डायरेक्टर शिरीष कुंदर ने पता नहीं क्या सोचकर इस फ़िल्म को बनाया था क्योंकि इसमें कहानी के नाम पर कुछ भी नहीं है। स्क्रीनप्ले काफ़ी कमज़ोर हो गया है। सीरियल कीलिंग को लेकर फ़िल्म बनाई गई थी तो डायरेक्टर को एक मज़बूत कहानी पर काम करना चाहिए था।

एक्टिंग

मनोज बाजपेयी उन चुनिंदा एक्टरों में से एक हैं जिन्हें कोई भी रोल दे दिया जाए उसमें जान फूँक देते हैं। इस फ़िल्म में भी मनोज बाजपेयी की एक्टिंग आपको पल भर के लिए भी निराश नहीं करेगी। वहीं जैकलिन फर्नांडिस की एक्टिंग आपको निराश कर सकती है। सबसे ज़्यादा स्क्रीन प्रेजेंस होने के बाद भी उनकी एक्टिंग काफ़ी कमज़ोर रह गई। इसके अलावा फ़िल्म में मोहित रैना भी हैं जिन्होंने अपने रोल को बख़ूबी निभाया है और इनकी एक्टिंग भी आपको निराश नहीं करेगी।

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इस फ़िल्म में मनोज बाजपेयी और मोहित रैना की अच्छी एक्टिंग को छोड़कर और कुछ भी नहीं है। कहानी बेहद कमज़ोर है और इसके अलावा फ़िल्म में कुछ और होता भी नहीं है। आजकल रिलीज़ होने वाली कई फ़िल्मों और सीरीज़ में थ्रिलर व क्राइम को दिखाने की कोशिश की जा रही है लेकिन उनकी कहानी इस तरह से निराश करती है कि अगली सीरीज़ या फ़िल्म देखने से पहले सोचना पड़ता है। फ़िलहाल, इन दिनों सभी लोग लॉकडाउन में अपने-अपने घरों में बंद हैं और इस दौरान आप यह फ़िल्म एक बार देख सकते हैं। यह फ़िल्म बस डेढ़ घंटे की ही है।
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दीपाली श्रीवास्तव
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