बीती रात तक देख ही डाली। सूत्र रूप में बोलें तो ‘महारानी-2’ की उपलब्धि यही है कि आप इसे बड़ी सहजता से देख जाते हैं। अपने आसपास की जानी-समझी लेकिन कुछ नई परतें खोलती कहानी जैसी। देखते हुए वेब सीरीज वाली प्रचलित मरामारी, खूनखराबा और भयंकर गालियाँ नहीं झेलनी पड़तीं। खूनखराबा भी एक ठहराव, संतुलन के साथ दिखता है। अभिनय दमदार है और प्रायः सभी जाने-अनजाने चेहरे किरदार के प्रति न्याय करते हैं। संवाद और स्क्रिप्ट पर बढ़िया काम हुआ है। अपराध और राजनीति के गठजोड़ वाली कहानियों की भीड़ में एक और की चुनौती को भी यह बखूबी झेल जाती है। पहले सीजन की कमियों से पार पाती हुई। अक्सर एक थियेट्रिकल अनुभव देती हुई। फिर भी कुछ है, जिस पर बात करना बनता है।
सत्ता, साजिश और प्रपंच की ‘महारानी’
- सिनेमा
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- नागेंद्र
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- 8 Sep, 2022

नागेंद्र
वेब सीरीज 'महारानी-2’ की उपलब्धि क्या है? क्या इसका यह जवाब हो सकता है कि आप इसे बड़ी सहजता से देख जाते हैं? पढ़िए इस सीरीज़ की समीक्षा।
'महारानी' देखते वक़्त दिमाग में बिहार छाया रहता है तो यह स्वाभाविक है। बनाने वालों ने भी इससे परहेज तो नहीं ही किया है। दावा भी नहीं कि यह बिहार की कहानी है या नहीं। घटनाएँ, पात्र, नाम ज़रूर कुछ इस तरह सामने आते हैं कि बिहार (विभाजन के पहले वाला) खुद ब खुद सामने आ जाता है। सारे तार जुड़ते जाते हैं। लेकिन, खासतौर से सीजन 2 देखते वक़्त कई बार लगता है कि इस वेब सीरीज का आनंद वाक़ई लेना है तो ‘बिहार’ को दिमाग से निकाल कर इसे भारतीय राजनीति के चेहरे के तौर पर देखना बेहतर होगा, वरना आप तथ्यों के तार जोड़ने में उलझ जाएंगे। महारानी वेब सीरीज ऐसी ही है।