वी शांताराम और ख्वाजा अहमद अब्बास के रिश्ते शुरू में अच्छे नहीं थे। ख्वाजा अहमद अब्बास ने अपनी आत्मकथा ‘आई एम नॉट इन आयलैंड’ में वी शांताराम से अपनी मुलाक़ात और संबंध का ज़िक्र किया है। उन्होंने लिखा है,
जब फ़िल्म की समीक्षा सात कॉलम में छाप दी!
- सिनेमा
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- 20 Nov, 2020

‘आदमी’ के बाद शांताराम की फ़िल्म ‘पड़ोसी’ आई तो ख्वाजा अहमद अब्बास ने उस फ़िल्म के ऊपर एक संपादकीय लिखने की इच्छा संपादक से जताई। उन्होंने संपादक से उसे प्रकाशित करने का आग्रह किया। इस आग्रह से संपादक बरेलवी इतना चौंके कि उन्होंने ख़ुद पहले फ़िल्म देखी और फिर उन्हें संपादकीय लिखने की अनुमति दे दी।
“मैं तब शांताराम का बड़ा प्रशंसक नहीं था। मैंने उनके कुछ माइथोलॉजिकल और माइथो-हिस्टोरिकल फ़िल्में देखी थीं। इन फ़िल्मों में मुझे केवल तकनीक पसंद आई थी। शांता आप्टे अभिनीत ‘दुनिया ना माने’ ने मुझे थोड़ा प्रभावित किया था। उसमें भी प्रतीकों का कुछ ज़्यादा इस्तेमाल हो गया था। ख़ासकर तब जब गधे रेंकते हैं और माँ का ध्यान खींचते हैं। मेरे ख्याल से वह कुछ ज़्यादा हो गया था।”