जन्मदिन पर बधाई संदेश के साथ आए पुष्पगुच्छ की संख्या की बढ़त और घटत से ज़ाहिर होने लगता है कि लोकप्रिय सितारे की चमक बढ़ रही है या घट रही है। शाहरुख ख़ान ने लोकप्रियता के शीर्ष के दिनों में एक इंटरव्यू में कहा था कि मैं इंडस्ट्री पहचान हासिल करने के बाद हर साल पुष्पगुच्छ की बढ़ती संख्या देखकर ख़ुश होता रहा हूँ। एक समय ऐसा भी आया कि संख्या तेज़ी से घटी, लेकिन फिर से फ़िल्मों के हिट होने पर सब ठीक हो गया। इन दिनों पॉपुलर स्टार की लोकप्रियता का पैमाना सोशल मीडिया पर उसके फॉलोवर होते हैं।
गुमनामी का दर्द: कभी करोड़ों दिलों पर राज करने वाले सितारे कहाँ खो जाते हैं?
- सिनेमा
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- 28 Aug, 2020

फ़िल्म इंडस्ट्री वास्तव में निर्मम और कठोर है। यह दमकती प्रतिभाओं को दोनों हाथों से थामती है, नाम, शोहरत, पैसा आदि सारी चीजों से नवाज़ती है। उनकी प्रतिमा गढ़ती है। किंवदंतियाँ आरंभ हो जाती हैं और फिर देखते-देखते वही इंडस्ट्री उसी प्रतिमा का विसर्जन कर देती है। प्रतिमाएँ गढ़ने और उनके विसर्जन का अनवरत सिलसिला चलता रहता है।
लोकप्रियता के केंद्र में आने और नेपथ्य में जाकर गुम हो जाने का चक्र चलता रहता है। आए दिन ख़बरें आती रहती हैं कि बीते दिनों के फलाँ मशहूर कलाकार या तकनीशियन इन दिनों बदहाल ज़िंदगी जी रहे हैं। उनकी मदद में इंडस्ट्री और प्रशंसकों के हाथ आगे बढ़ जाते हैं। हाल ही में वनराज भाटिया का मामला सुर्खियों में था।