बिहार में बीजेपी और उसकी सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) का गठबंधन क्या नवंबर, 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव तक चल पाएगा? यह सवाल इसलिए खड़ा हुआ है क्योंकि पिछले कुछ दिनों के राजनीतिक घटनाक्रम को देखें तो साफ़ पता चलता है कि जेडीयू-बीजेपी के रिश्ते सामान्य नहीं हैं। नागरिकता संशोधन क़ानून का समर्थन करने को लेकर जेडी (यू) के भीतर ही उथल-पुथल शुरू हुई और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के पार्टी से इस्तीफ़ा देने तक की ख़बरें आईं।
'पीके' के बयान पर बीजेपी का पलटवार; बिहार की सियासत में घमासान
- बिहार
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- 31 Dec, 2019

बिहार में बीजेपी और उसकी सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) का गठबंधन क्या नवंबर, 2020 में होने वाले विधानसभा चुनाव तक चल पाएगा?
प्रशांत किशोर ने इस क़ानून का खुलकर विरोध किया तो पार्टी के भीतर उनके ख़िलाफ़ भी आवाज़ें उठीं। लेकिन नीतीश कुमार ने बात को बिगड़ने से पहले ही संभाल लिया और कहा कि बिहार में नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) को लागू नहीं किया जाएगा। यहां से बीजेपी-जेडीयू के बीच थोड़ी तकरार शुरू हुई क्योंकि अमित शाह कह चुके हैं कि मोदी सरकार देश भर में एनआरसी को लागू करेगी। हालांकि बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यह बयान कि उनकी सरकार बनने के बाद एनआरसी को लेकर कोई चर्चा ही नहीं हुई है, इस पर सरकार की ख़ासी किरकिरी हुई।