बिहार के मुख्यमंत्री को शायद समझ में नहीं आया कि लम्बे समय तक शासन में रहने के अपरिहार्य दोष के रूप में पैदा हुए सामंती अहंकार का विस्तार लोकप्रियता के उल्टे अनुपात में होता है। नीतीश कुमार और नवीन पटनायक दो ऐसे मुख्यमंत्री हैं जो जनता से मिलने, संकट के समय उनके प्रति हमदर्दी दिखाने और तात्कालिक जन-समस्याओं का त्वरित समाधान करने में कतई विश्वास नहीं रखते।
सामंती बर्ताव के चलते नीतीश से नाराज है जनता?
- बिहार
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- 31 Nov, 2020

कानून के बारे में मशहूर कहावत है कि इसे तब तक न लायें जब तक इसका अनुपालन करवाने की पूरी क्षमता वाला सिस्टम न विकसित हो। गुजरात की तरह शराबबंदी कानून बना कर और उसे सख्ती दे कर बिहार के मुख्यमंत्री ने समझा कि अब महिलाओं का समर्थन और चुनाव में वोट मिल जायेंगे ताकि सहयोगी बीजेपी को जब-तब आंखें दिखाते रहेंगे। लेकिन हुआ इसके ठीक उलटा।
इसे सामंती अहंकार-जनित अकर्मण्यता भी माना जा सकता है जिसके दुष्परिणामों ने पटनायक को अभी तक इसलिए बख्शा क्योंकि वहां चिर-ग़रीबी से पैदा होने वाली सामूहिक चेतना में सत्ता के ख़िलाफ़ खड़े होने की ताब (गर्मी) पैदा न हो सकी। ना ही बिहार में लालू प्रसाद-तेजस्वी या सीपीआई-माले या अन्य जातिवादी नेता खड़े हो सके।