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मुजफ्फरपुर यौन उत्पीड़न कांडः किस नेता का संरक्षण था 'अय्याशी गैंग' को

बिहार के मुजफ्फरपुर में नौकरी के नाम पर लड़कियों के यौन शोषण का मामला सामने आया है। एक गिरोह ने डीवीआर नामक एक फर्जी मार्केटिंग कंपनी बनाई और सोशल मीडिया पर नौकरी की रिक्तियां पोस्ट कीं। इसमें कहा गया कि अगर आप इस कंपनी में काम करने के इच्छुक हैं तो हमसे संपर्क कर सकते हैं। आपको मोटी सैलरी भी मिलेगी। बड़ी बात ये थी कि ये पद सिर्फ लड़कियों के लिए था। इस पोस्ट के बाद तमाम लड़कियों ने संपर्क किया।

आरोप है कि डीवीआर नामक फर्जी मार्केटिंग कंपनी ने लड़कियों को मोटी रकम देने का वादा कर नौकरी पर रखा। वहां मौजूद कुछ लोगों ने कई लड़कियों को बंधक बना लिया और उनके साथ शारीरिक संबंध बनाए। जब लड़कियों ने इसका विरोध किया तो उन्हें बेरहमी से पीटा गया। इस मामले के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं, जिसमें लड़की को बेल्ट से पीटते हुए दिखाया गया है। 
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पुलिस ने अहियापुर और सदर इलाके में छापेमारी कर सभी लड़कियों को मुक्त कराया था। ज्यादातर लड़कियों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराना उचित नहीं समझा लेकिन छपरा जिले की एक लड़की हिम्मत जुटाकर सामने आई और मुजफ्फरपुर के अहियापुर में कथित कंपनी के एक फर्जी कर्मचारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है।

जेडीयू नेता नीरज कुमार ने इस घटना पर मंगलवार को कहा कि  मुजफ्फरपुर मामले पर जहां बड़ी संख्या में महिलाओं को नौकरी देने के बहाने धोखा दिया गया, "...मुझे पता चला है कि मामला दर्ज किया गया है। इसे संज्ञान में लेकर मामले की जांच की जा रही है।” इस घटना पर मुजफ्फरपुर पुलिस का भी आधिकारिक बयान आया है। नीचे वीडियो देखिए-

आखिर कौन है वो नेता

बिहार की प्रमुख विपक्षी पार्टी आरजेडी के नेता भाई वीरेंद्र ने कहा- "यह हमेशा होता रहेगा। हमारे यहां कुछ राजनीतिक लोग हैं जो लड़कियों की आपूर्ति करने में लिप्त हैं। कभी सांसद बन जाते हैं, कभी बिहार के मंत्री बन जाते हैं इनका काम सप्लाई करना और महिलाओं के साथ ऐसा दुर्व्यवहार करना...ये सब इनके इशारे पर होता है...कौन बनाता है फर्जी कंपनियां? जो बिहार के मंत्री बनते हैं...जब ऐसे लोगों पर शिकंजा कसा जाएगा, तो वे चीजों का खुलासा करेंगे।''

मुजफ्फरपुर शेल्ट होम कांड में क्या हुआ था

  • फरवरी 2018 में TISS (टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज) ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह में नाबालिग लड़कियों पर यौन उत्पीड़न की घटनाओं को उजागर करने वाली ऑडिट रिपोर्ट बिहार के समाज कल्याण विभाग को सौंपी थी।
  • यह मामला कई महीने तक दबा रहा या उस समय की नीतीश कुमार सरकार ने चुप्पी साध ली। लेकिन टिस ने फिर से इस मामले को आगे बढ़ाया।
 

  • 29 मई 2018: बिहार सरकार ने लड़कियों को शेल्टर हों से दूसरे संरक्षण गृहों में भेजा।
  • 31 मई 2018: जांच के लिए एसआईटी गठित; ब्रजेश ठाकुर समेत 11 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज
  • 14 जून 2018: बिहार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम को सील किया, 46 नाबालिग लड़कियों को बचाया।
  • 1 अगस्त 2018: बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राज्य भर के आश्रय गृहों की निगरानी के लिए पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को पत्र लिखा, यौन शोषण के मामलों के तत्काल निपटान के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतों के गठन का सुझाव दिया।
  • 2 अगस्त 2018: सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया; केंद्र और बिहार सरकार दोनों से जवाब मांगा।
  • 5 अगस्त: बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने टीआईएसएस की रिपोर्ट के बाद कर्तव्य में लापरवाही और कार्रवाई में देरी के लिए राज्य कल्याण विभाग के छह सहायक निदेशक को निलंबित कर दिया।
  • 8 अगस्त 2018: बिहार में समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा ने घोटाले के चलते इस्तीफा दिया। शुरू में नीतीश कुमार ने मंजू वर्मा का इस्तीफा मांगा ही नहीं। आरोप है कि तत्कालीन मंत्री मंजू वर्मा के पति की मुख्य आरोपी से सांठगांठ थी।

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यह मामला अदालत में चलता रहा। जिसमें दिल्ली की साकेत कोर्ट भी शामिल है। 20 जनवरी 2020 को अदालत ने ब्रजेश ठाकुर और 18 अन्य को दोषी ठहराया। 11 फरवरी 2020 को अदालत ने ठाकुर और 11 अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

 
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क़मर वहीद नक़वी
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