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नवनियुक्त बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार नेता विपक्ष राहुल गांधी के साथ

बिहार कांग्रेस की कमान दलित को क्यों सौंपी गई, कन्हैया के बाद एक और प्रयोग

कांग्रेस ने मंगलवार को औरंगाबाद जिले के कुटुंबा से विधायक राजेश कुमार को बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया। 56 वर्षीय राजेश कुमार, जो एक प्रमुख दलित नेता हैं, ने अखिलेश प्रसाद सिंह की जगह ली है। अखिलेश प्रसाद 2022 से इस पद पर थे। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस नियुक्ति को बिहार में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले दलित समुदाय के बीच अपनी पैठ मजबूत करने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।

राजेश कुमार ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में कुटुंबा सीट से जीत हासिल की थी। उन्होंने हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के शरवन भुइया को 16,653 मतों के अंतर से हराया था, जो पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी का हिस्सा है। इससे पहले, 2015 में भी वे इसी सीट से विधायक चुने गए थे। उनकी यह लगातार दूसरी जीत उन्हें बिहार कांग्रेस के लिए एक मजबूत चेहरा बनाती है।

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दलित प्रतिनिधित्व पर जोर

बिहार में कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह नियुक्ति राज्य की 20 प्रतिशत दलित आबादी को ध्यान में रखकर की गई है। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "राहुल गांधी हमेशा दलितों और ओबीसी को उचित प्रतिनिधित्व देने की बात करते हैं। राजेश कुमार की नियुक्ति से साफ है कि पार्टी अपने वादों पर अमल करने के लिए प्रतिबद्ध है।"

एक अन्य नेता ने कहा, "यह एक बेहतरीन फैसला है। राजेश कुमार न केवल एक प्रभावशाली वक्ता हैं, बल्कि युवा और ऊर्जावान भी हैं। ऐसे समय में जब बिहार में चुनाव नजदीक हैं, वे पार्टी को आगे ले जा सकते हैं।" वैसे भी बिहार में कांग्रेस के पास खोने को कुछ नहीं है। ऐसे में दलित नेतृत्व का प्रयोग करने में कोई हर्ज नहीं है।

बिहार में कांग्रेस का प्रदर्शन

2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 19 सीटें जीतकर 9.48 प्रतिशत वोट हासिल किया था। उस चुनाव में एनडीए ने 243 सदस्यीय विधानसभा में 125 सीटों के साथ जीत हासिल की थी। इस बार कांग्रेस अपने प्रदर्शन को बेहतर करने और दलित वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश में है, जो राज्य की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाता है।

दिल्ली में कांग्रेस की बैठकः दिल्ली में मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी के महासचिवों और राज्य प्रभारियों की बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में बिहार सहित कई राज्यों में संगठन को मजबूत करने पर चर्चा हुई।

जिला इकाइयों पर फोकस

कांग्रेस अब अपनी जिला इकाइयों को सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रही है। पार्टी के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने बताया कि 27, 28 मार्च और 3 अप्रैल को तीन चरणों में देश भर के जिला कांग्रेस कमेटी (DCC) अध्यक्षों की बैठक दिल्ली के इंदिरा गांधी भवन में होगी। यह बैठक 8 और 9 अप्रैल को अहमदाबाद में होने वाले अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) सत्र से पहले की तैयारी का हिस्सा है। इसका मकसद जिला इकाइयों को संगठन का केंद्र बिंदु बनाना और उनकी भूमिका को मजबूत करना है।
बिहार में कांग्रेस की रणनीतिः राजेश कुमार की नियुक्ति को कांग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें वह बिहार में एनडीए और राजद-जदयू गठबंधन को कड़ी टक्कर देना चाहती है। दलित समुदाय के साथ-साथ ओबीसी और अन्य पिछड़े वर्गों को जोड़ने की कोशिश भी तेज की जा रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में बिहार में कांग्रेस की सक्रियता और बढ़ेगी, जिसमें जनसभाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में अभियानों पर जोर दिया जाएगा।

क्या कहते हैं जानकार?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह नियुक्ति कांग्रेस के लिए एक सकारात्मक कदम हो सकती है, लेकिन इसका असर इस बात पर निर्भर करेगा कि पार्टी जमीन पर कितनी प्रभावी ढंग से काम कर पाती है। बिहार में दलित वोटरों का एक बड़ा हिस्सा पारंपरिक रूप से आरजेडी और जेडीयू के साथ रहा है, ऐसे में कांग्रेस के लिए इस वोट बैंक में सेंध लगाना चुनौतीपूर्ण होगा।

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कुल मिलाकर, राजेश कुमार की नियुक्ति और संगठनात्मक बदलावों के साथ कांग्रेस बिहार में नई ऊर्जा के साथ मैदान में उतरने को तैयार है। ओबीसी और दलित को जोड़कर बिहार की राजनीति का रुख मोड़ने की कोशिश कितनी कारगर साबित होगी, इसका पता विधानसभा चुनाव में चल जाएगा।

रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी
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क़मर वहीद नक़वी
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