लालू प्रसाद के वकीलों ने इस मामले में हाईकोर्ट में आधी सजा काटने और ख़राब सेहत के आधार पर जमानत की अर्जी दी थी। लालू पिछले कई महीनों से किडनी की बीमारी से परेशान हैं और अदालत की देखरेख में उनका इलाज कभी रांची तो कभी एम्स में हुआ है। फ़िलहाल वे एम्स, दिल्ली में इलाज करा रहे हैं।
इस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने इसी साल 21 फ़रवरी को पाँच साल की सज़ा सुनाई थी। इसके साथ ही उन्हें साठ लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। इस मामले में इससे पहले चार बार सुनवायी हो चुकी थी लेकिन विभिन्न कारणों से सुनवाई पूरी नहीं हो पायी थी। बुधवार को सीबीआई द्वारा शपथ दायर करने के बाद जमानत अर्जी पर फ़ैसले की तारीख़ 22 अप्रैल तय की गयी थी। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी इस मामले में लालू प्रसाद की पैरवी की थी।
झारखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह फ़ैसला सुनाया जिसमें सीबीआई की दलील थी कि उनके अनुसार सजा की आधी अवधि पूरी नहीं हुई थी, इसलिए जमानत देना सही नहीं होता।
इस फ़ैसले में अब जुर्माने की राशि घटाकर दस लाख कर दी गयी है। इसके साथ ही उन्हें एक लाख रुपये बतौर जमानत राशि भी जमा करनी होगी। इसके अलावा उन पर यह शर्त भी लगायी गयी है कि वे हाईकोर्ट की इजाजत के बिना देश से बाहर नहीं जाएंगे और अपना फोन नंबर व पता भी नहीं बदलेंगे।
लालू प्रसाद पर उनके मुख्यमंत्री रहते हुए चारा घोटाले का आरोप था। उन पर इस घोटाले के पांच मामले दर्ज थे और वे सभी मामलों में सजायाफ्ता हुए हैं।
सबसे पहले 2012 में लालू प्रसाद और एक और पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को बांका और भागलपुर जिलों में ग़लत तरीक़े से राशि निकासी के मामले में अभियुक्त बनाया गया था।
एक और मामले में 2017 में उन्हें साढ़े 3 साल की सजा सुनाई गई। दो हजार अट्ठारह में चाईबासा कोषागार से अवैध तरीक़े से 33 करोड़ रुपए की निकासी के मामले में उन्हें 5 साल की सजा सुनाई गई। उसी साल दुमका कोषागार से तीन करोड़ की अवैध निकासी के मामले में उन्हें 7 साल की सजा सुनाई गई।
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