अपने सियासी वजूद के लिए जद्दोजहद में लगे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने चुनावी भाषणों में जहाँ 2005 के पहले के बिहार की याद दिला रहे हैं तो वहीं वह मुस्लिम समुदाय से भी मुखातिब हो रहे हैं।

इस बार जब नीतीश कुमार ने एक बार फिर बीजेपी से हाथ मिलाकर मुख्यमंत्री बनना स्वीकार किया तो कई लोगों का कहना है कि वह 2005 के जैसे मुख्यमंत्री नहीं रहे। तो क्या मुस्लिमों में इसको लेकर हिचकिचाहट है?
जदयू के सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार को इस बात का एहसास है कि मुस्लिम समुदाय उनके भारतीय जनता पार्टी के साथ मिल जाने के कारण सशंकित है। हालाँकि, नीतीश कुमार पहले भी भारतीय जनता पार्टी के साथ रहे हैं लेकिन पिछले कई वर्षों में कई ऐसे मामले हुए जिनके कारण मुसलमानों का नीतीश कुमार से मोहभंग हुआ है।