बिहार के बक्सर जिले के चैगाईं प्रखंड के ओझा गांव, थाना मुरार में बीते रविवार को एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ और उसके बच्चे की हत्या कर दी गई। उम्मीद थी कि राजधानी पटना के अख़बार इतनी बड़ी घटना को खुलकर छापेंगे और सरकार की लानत-मलानत करेंगे। लेकिन हुआ इसके ठीक उलट।
बिहार: बक्सर दलित मर्डर-रेप केस को खा गए पटना के अख़बार!, सरकार का दबाव?
- बिहार
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- 14 Oct, 2020

भले ही इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल मीडिया की पहुंच लगभग हर आदमी तक हो गई हो लेकिन गांव-कस्बों और छोटे शहरों में लोगों का भरोसा आज भी अख़बारों पर है। लोग मानते हैं कि अख़बार उनसे वो ख़बर कभी नहीं छिपाएंगे, जो उनके लिए जाननी ज़रूरी है। लेकिन अगर एक वीभत्स मामले में अख़बार ऐसा करें तो इनकी भूमिका और सरकार से साठगांठ को लेकर सवाल खड़े होने लाजिमी हैं। पढ़िए, बक्सर गैंगरेप को लेकर पटना के अख़बारों के रवैये पर यह ख़बर।
इस मामले में दर्ज एफ़आईआर की ख़बर पहले दिन पटना के तीन प्रमुख अख़बारों को छोड़कर सबने या तो अंदर के पन्नों पर ली या छोड़ दी। दूसरे दिन इससे जुड़ी ख़बर किसी भी अख़बार के पहले पेज पर नहीं थी।
सोमवार को पटना के एक प्रमुख अंग्रेज़ी अख़बार में यह ख़बर पहले पेज पर तीन काॅलम में लगी। इसकी लीड गया में बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डा की गया की चुनावी सभा की ख़बर रही। एक दूसरे अंग्रेज़ी के प्रमुख अख़बार ने इस ख़बर को पहले पेज के लायक नहीं समझा। यह ख़बर इसके पेज नंबर तीन पर दो काॅलम में लगी। बिहार के एक प्रमुख हिंदी अख़बार के पटना संस्करण ने मर्डर-रेप की ख़बर पहले पेज पर तो दी है लेकिन तीसरी लेयर में और वह भी दो काॅलम में।