दशकों से चल रहे अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आ गया है। फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जगह को रामलला का बताया है और मसजिद के लिये दूसरी जगह ज़मीन देने का आदेश दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ़ैसला आने के बाद ट्वीट कर कहा है कि यह फ़ैसला न्यायिक प्रक्रियाओं में जन सामान्य के विश्वास को और मजबूत करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हमें हमारे देश की हजारों साल पुरानी भाईचारे की भावना के अनुरूप 130 करोड़ भारतीयों को शांति और संयम का परिचय देना है। भारत के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की अंतर्निहित भावना का परिचय देना है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या पर अपना फ़ैसला सुना दिया है और इस फ़ैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, यह समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है। मोदी ने कहा कि देशवासियों से मेरी अपील है कि शांति, सद्भाव और एकता बनाए रखें।
देश के सर्वोच्च न्यायालय ने अयोध्या पर अपना फैसला सुना दिया है। इस फैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
— Narendra Modi (@narendramodi) November 9, 2019
रामभक्ति हो या रहीमभक्ति, ये समय हम सभी के लिए भारतभक्ति की भावना को सशक्त करने का है। देशवासियों से मेरी अपील है कि शांति, सद्भाव और एकता बनाए रखें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई थी और सभी मंत्रियों को निर्देश दिया था कि अयोध्या विवाद मामले में फ़ैसला आने के बाद ग़ैरजरूरी या भड़काऊ बयानबाज़ी नहीं होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा था कि शांति और सौहार्द्र को बनाये रखना हम सबकी जिम्मेदारी है।
‘मन की बात’ में किया था जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 अक्टूबर को ‘मन की बात’ में भी भी अयोध्या के मुद्दे का जिक्र किया था। उन्होंने इस दौरान अयोध्या मसले पर 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले का जिक्र करते हुए कहा था कि तब सरकार ने, राजनीतिक दलों ने, सामाजिक संगठनों ने, सिविल सोसायटी ने सामाजिक तनाव कम करने का काम किया था। मोदी ने कहा था कि लोगों ने न्यायपालिका का सम्मान किया और तनाव नहीं पैदा होने दिया।
अपनी राय बतायें