अयोध्या विवाद पर आए सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फ़ैसले पर मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आई हैं। सभी लोगों ने इस फ़ैसले का सम्मान किया है। अधिकतर लोगों ने इस फ़ैसले पर संतोष जताया है, लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने फ़ैसले पर असंतोष ज़ाहिर किया है। प्रधानमंत्री मोदी सहित कई मंत्रियों ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत किया जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि देश के सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले को किसी की हार या जीत के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी कहा है कि इस फ़ैसले को किसी की हार या जीत की तरह नहीं देखा जाए।
इधर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला सामाजिक ताने-बाने को और मज़बूत करेगा। उन्होंने लोगों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हम मुसलिम अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'मुसलिम पक्ष क़ानूनी हक के लिए लड़ रहा था। ...खैरात हमें नहीं चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को चुनौती दी जा सकती है।' उन्होंने कहा कि हम मसजिद के लिए ज़मीन ख़रीद सकते हैं। ओवैसी ने कहा कि मसजिद के ऊपर कोई समझौता नहीं किया जा सकता है। उन्होंने मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड के तर्कों को भी मीडिया के सामने रखा।
इधर, श्री श्री रविशंकर ने कहा कि यह ऐतिहासिक फ़ैसला है, मैं इसका स्वागत करता हूँ। उन्होंने कहा कि समाज में शांति और सद्भाव बना रहना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मुद्दे पर अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट के इस फैसले का सम्मान करते हुए हम सब को आपसी सद्भाव बनाए रखना है। ये वक्त हम सभी भारतीयों के बीच बन्धुत्व,विश्वास और प्रेम का है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 9, 2019
#AyodhyaVerdict
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि वर्षों पुराना विवाद आज ख़त्म हुआ। उन्होंने सभी लोगों से शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की।
विश्व हिंदू परिषद के शरद शर्मा ने कहा कि अयोध्या में शांति-व्यवस्था कायम रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सत्य की जीत हुई है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सभी लोग सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का स्वागत करें और शांति व्यवस्था बनाए रखें।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सभी को स्वागत करना चाहिए, यह सामाजिक सौहार्द के हित में है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर आगे कोई विवाद नहीं होना चाहिए, यह मेरी लोगों से अपील है।
मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव ज़फ़रयाब जिलानी ने कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन इस फ़ैसले से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे आगे की कार्रवाई के लिए आगे फ़ैसला लेंगे।
ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कमाल फ़ारूक़ी ने कहा, 'इसके बदले हमे 100 एकड़ ज़मीन भी दें तो कोई फ़ायदा नहीं है। हमारी 67 एकड़ ज़मीन पहले से ही अधिग्रहित की हुई है तो हमको दान में क्या दे रहे हैं वो? हमारी 67 एकड़ ज़मीन लेने के बाद 5 एकड़ दे रहे हैं। ये कहाँ का इंसाफ़ है?'
हालाँकि, मुख्य पक्षकार हाशिम अंसारी के बेटे इक़बाल अंसारी ने कहा है कि हम इस फ़ैसले का स्वागत करते हैं। उन्होंने यह भी साफ़ किया कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के ख़िलाफ़ वह पुनर्विचार याचिका नहीं दाखिल करेंगे।
भारतीय पुरातत्व विभाग के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर) के. के. मुहम्मद ने कहा, 'मैं सही साबित हुआ। लोगों के एक समूह द्वारा मेरी आलोचना की गई थी। यह ठीक उसी तरह का निर्णय है जैसा हम सभी चाहते थे।' बता दें कि उन्होंने कहा था कि अयोध्या में बाबरी मसजिद से पहले राम मंदिर मौजूद था। यह कहने पर कुछ लोगों ने उनकी आलोचना की थी।
अपनी राय बतायें