विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित तथा डिटेंशन कैंप में मारे गए दुलाल चंद्र पाल के परिवार वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान पर आगबबूला हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है। दुलाल पाल के 29 वर्षीय बेटे आशीष ने कहा कि यदि भारत में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है, तो प्रधानमंत्री को यह बताना चाहिए कि मेरे पिता मरने के पहले दो साल तक कहाँ रखे गए थे। उन्हें कहाँ हवालात में रखा गया था।
पाल के बेटे ने आगे कहा कि हमारे पास 1956 के काग़ज़ात थे, फिर भी पिताजी को विदेशी घोषित किया गया और डिटेंशन सेंटर भेज दिया गया। पाल के सभी परिवारवाले भारतीय के रूप में रह रहे हैं, तब पाल को अपने जीवन के अंतिम दिन डिटेंशन सेंटर में गुज़ारने पड़े। उन्होंने कहा, ‘हमें प्रशासन ने भरोसा दिलाया था कि मामले की जाँच की जाएगी और तीन महीने में न्याय मिलेगा। अब तक हमें उनकी मौत का प्रमाण पत्र तक नहीं मिला है।’
बता दें कि पाल के शव को परिवारवालों ने दस दिनों तक लेने से इनकार कर दिया था। बाद में मुख्यमंत्री ने ख़ुद उनके परिवार का दौरा करने की बात कही तो उन लोगों से शव को स्वीकारा। पर मुख्यमंत्री ख़राब मौसम के चलते हेलिकॉप्टर से नहीं जा पाए। परिवारवालों का कहना था कि उन पर बांग्लादेशी होने का जो लेबल चस्पां किया गया है उसे हटाया जाए और भारतीय घोषित किया जाए।
वकील मसूद जमान कहते हैं कि जब प्रशासन की देखरेख में डिटेंशन सेंटर चल रहे हैं तब प्रधानमंत्री इस तरह का ‘सफेद झूठ’ कैसे बोल सकते हैं। विपक्ष के नेता देवव्रत सैकिया ने कहा कि मोदी के मुँह में झूठ नई बात नहीं है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में पहली बार 1998 में डिटेंशन सेंटर की स्थापना की बात आई थी। केंद्र ने सभी राज्यों को डिटेंशन सेंटर स्थापित करने का निर्देश दिया।
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