विदेशी न्यायाधिकरण द्वारा विदेशी घोषित तथा डिटेंशन कैंप में मारे गए दुलाल चंद्र पाल के परिवार वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान पर आगबबूला हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं है।
नागरिकता संशोधन विधेयक के ख़िलाफ़ पूरा असम जल रहा है, पूरे राज्य में ज़ोरदार आन्दोलन चल रहा है। गुवाहाटी में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में दो आन्दोलनकारी मारे गए हैं।
नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस की सूची जारी कर दी गई है और 19 लाख उससे बाहर रह गए हैं। तो क्या ये सारे लोग विदेशी हैं? और क्या यह खेल पूरे देश में दुहराया जाएगा?