कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय
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पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व
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असम-मेघालय की सीमा पर वन रक्षक समेत 6 लोगों की मौत के मामले की जाँच अब सीबीआई कर सकती है। मेघालय के मंत्रियों के दल की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाक़ात से पहले, असम के मुख्यमंत्री हिमंत सरमा ने दिल्ली में घोषणा की कि उनके मंत्रिमंडल ने दोनों राज्यों की सीमा पर हिंसा की जांच सीबीआई को सौंपने का फ़ैसला किया है। इसने मेघालय के पाँच आदिवासी ग्रामीणों की गोली मारकर हत्या करने के आरोपी राज्य पुलिस बल से नागरिकों से जुड़े मुद्दों या गड़बड़ी से निपटने के दौरान संयम बरतने को कहा।
असम सरकार की कैबिनेट की बैठक दिल्ली में हुई जहाँ राज्य के मंत्री असमिया मध्यकालीन नायक लचित बोरफुकन के सम्मान में एक केंद्रीय समारोह में भाग लेने गए थे। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार विशेष कैबिनेट बैठक के दौरान, मंत्रिपरिषद ने नागरिकों के साथ विवाद वाली स्थितियों से निपटने के लिए पुलिस और वन कर्मियों के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया यानी एसओपी लाने का फ़ैसला किया है।
रिपोर्ट के अनुसार असम के सीएम सरमा ने कहा, 'हमने पुलिस को नागरिक आबादी से निपटने के दौरान घातक हथियारों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की सलाह दी है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए पुलिस के साथ-साथ वन कर्मियों के लिए एसओपी तैयार किए जाएँगे। सभी थानों के प्रभारियों को ऐसे मामलों पर ठीक से संवेदनशील बनाया जाएगा।'
We advised Police to restrain use of lethal weapons while dealing with civilian population. SOPs for Police as well as Forest personnel will be prepared to deal with such situation. All police station in charges will be properly sensitised on such matters. 3/3
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) November 23, 2022
इससे पहले मंगलवार की रात मेघालय कैबिनेट की बैठक में 24 नवंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलने के लिए सीएम कोनराड के संगमा के नेतृत्व में मंत्रियों के एक प्रतिनिधिमंडल को भेजने का फ़ैसला किया गया था। इसमें उस हिंसा की सीबीआई या एनआईए जांच की मांग की गई थी। संगमा ने कैबिनेट की बैठक के बाद कहा था, 'हम आधिकारिक रूप से उन्हें (शाह को) मुकरोह गांव में हुई गोलीबारी की घटना के बारे में सूचित करेंगे और मांग करेंगे कि केंद्रीय एजेंसी या तो एनआईए या सीबीआई से जांच कराई जाए।'
मेघालय और असम एक दूसरे से करीब 885 किलोमीटर लम्बी सीमा साझा करते हैं। जब मेघालय को असम से अलग किया गया तो बँटवारे की रेखा खासी और गारो समुदाय की आबादी के बीच से होकर गुजरी। ऐसा इसलिए हुआ कि पूर्वोत्तर में राज्यों का बंटवारा पहाड़ों की स्थिति के अनुसार हुआ। नतीजा यह हुआ कि दोनों समुदाय के काफ़ी लोग मैदानी इलाक़े में रह गए। इसके बाद इन लोगों के विकास को लेकर विवाद की जंग शुरू हुई।
अभी भी ऐसे कई लोग हैं जो रहते तो असम में हैं, लेकिन उनका नाम मेघालय की मतदाता सूची में दर्ज है। ऐसे कई मुद्दों को लेकर लंगपीह में हिंसा हुई थी।
बहरहाल, सीमा विवाद को सुलझाने के लिए इसी साल मार्च में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री के बीच समझौता कराया था।
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