आने वाले कुछ महीनों में जिन राज्यों में चुनावी दंगल सजने वाला है, उनमें बंगाल के बाद असम प्रमुख है। बीजेपी के बरक्स कांग्रेस भी चुनाव में मजबूत ताल ठोकने की तैयारी कर रही है और बंगाल में वाम दलों के साथ गठबंधन करने के बाद असम में उसने 5 दलों के साथ गठबंधन करने का एलान किया है।
असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने कहा है कि विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ़), सीपीआई, सीपीआई (एम), सीपीआई (एमएल) और आंचलिक गण मोर्चा के साथ मिलकर चुनाव मैदान में उतरेगी। बोरा ने ट्वीट कर रहा कि उनके दरवाज़े सभी बीजेपी विरोधी दलों के लिए खुले हुए हैं।
उन्होंने क्षेत्रीय दलों को भी साथ आने के लिए आमंत्रित किया है और कहा है कि बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए हमें मिलकर लड़ाई लड़नी होगी।
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 26 सीटें मिली थीं। इससे पहले लगातार 15 साल तक असम में उसकी सरकार रही थी। पूर्व मुख्यमंत्री तरूण गोगोई की कमी पार्टी को ज़रूर खलेगी। गोगोई का पिछले साल नवंबर में निधन हो गया था।
हालांकि पहले कांग्रेस में एआईयूडीएफ़ के साथ गठबंधन को लेकर स्थिति साफ नहीं थी क्योंकि बीजेपी एआईयूडीएफ़ के मुखिया मौलाना बदरूद्दीन अजमल को कई बार जिन्ना बता चुकी है, ऐसे में उसे हिंदू वोटों को खोने का डर था। लेकिन पार्टी जानती है कि अजमल के साथ आने से उसे असम में क़रीब 34 फ़ीसदी मुसलमानों के वोट भी मिलेंगे। इनमें मूल असमिया और बांग्लादेश से आए मुसलमान शामिल हैं। इसके अलावा वाम दलों के वोट भी इस गठबंधन को मिलेंगे और यह बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होगी।
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मुसलमानों पर है अजमल की पकड़
बदरूद्दीन अजमल की मुसलमानों पर मजबूत पकड़ है और मुसलमानों के 34 फ़ीसदी वोटों पर लगभग उनका ही कब्जा है। 2005 में बनी उनकी पार्टी एआईयूडीएफ़ ने बहुत तेजी से राज्य में अपना आधार मजबूत किया है। एआईयूडीएफ़ ने 2006 में हुए असम विधानसभा चुनाव में पहली बार लड़ते हुए 10, 2011 में 18 और 2016 में 13 सीटें जीती थीं।
इस गठबंधन का एआईयूडीएफ़ ने स्वागत किया है और कहा है कि यह बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकेगा। पार्टी के महासचिव अमीनुल इसलाम ने एनडीटीवी से कहा, ‘पिछली बार कांग्रेस और एआईयूडीएफ़ का गठबंधन नहीं था और वोटों के बंटवारे के कारण हम 27 सीटें हार गए थे। इस बार हमारी कोशिश सभी बीजेपी विरोधी वोटों को बटोरने की है और हम सत्ता में आने में कामयाब होंगे।’
बीजेपी ने भी भरी हुंकार
बीजेपी ने कहा है कि इस बार वह अपने पुराने साथी बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट के साथ चुनाव नहीं लड़ेगी बल्कि एजीपी और नए साथी यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीएल) के साथ चुनावी गठबंधन करेगी। असम बीजेपी के अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने पिछले हफ़्ते कहा कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व एजीपी और यूपीपीएल के साथ जल्द ही सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत शुरू करेगा। उन्होंने कहा कि 126 सीटों वाली असम विधानसभा में उनका गठबंधन 100 से ज़्यादा सीटें जीतेगा।
इसके अलावा ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) और असम जातीयतावादी युवा छात्र परिषद (एजेवाईसीपी) ने नए स्थानीय राजनीतिक दल के गठन की घोषणा की है। इस दल का नाम असम जातीय परिषद रखा गया है और यह भी चुनाव में ताल ठोकेगा।
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