भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर क्या एक बार फिर मुसलमान हैं? क्या उग्र हिन्दुत्व की राजनीति करने वाली पार्टी असम विधानसभा चुनाव के पहले सांप्रदायिक आधार पर समाज का ध्रुवीकरण करना चाहती है ताकि उसे अधिक से अधिक हिन्दू वोट मिले? क्या बीजेपी को यह लगने लगा है कि एनआरसी का कार्ड असम में नहीं चला और इस आधार पर उसे हिन्दुओं का वोट नहीं मिलेगा?