क्या किसी 12 साल की बच्ची की छाती दबाना उस पर यौन हमला नहीं माना जाना चाहिए? बंबई हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के एक फ़ैसले से यह सवाल उठता है। अदालत ने एक फ़ैसले में कहा है कि यह काम भारतीय दंड संहिता के अनुसार छेड़छाड़ जैसा अपराध तो है, पर पॉक्सो अर्थात प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन फ़्रॉम सेक्सुअल ऑफ़ेन्सेज़ के तहत यौन हमला जैसा गंभीर अपराध नहीं है।
12 साल की बच्ची की छाती दबाना यौन हमला नहीं है?
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- 25 Jan, 2021
बंबई हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने माना 12 साल की बच्ची की छाती दबाना पॉक्सो के तहत यौन हमला नहीं है, पर आईपीसी के तहत छेड़छाड़ है।

क्या कहा अदालत ने?
'लाइव लॉ' के अनुसार, जस्टिस पुष्पा गनेड़ीवाल ने सत्र न्यायालय के दिए गए एक फ़ैसले को इस आधार पर बदल दिया। एक 39 साल के व्यक्ति पर यह आरोप लगा कि उसने 12 साल की एक बच्ची की छाती दबाया और उसका कपड़ा हटाने की कोशिश की। नागपुर बेंच की जज जस्टिस गनेड़ीवाल ने अपने निर्णय में धारा 354 के तहत छेड़छाड़ का अपराध माना और उसे एक साल की जेल की सज़ा दी।