अधिकांश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में भाजपा का वोट शेयर इस चुनाव में गिरा है। यह गिरावट उन्हीं राज्यों में दर्ज हुई है, जहां 2019 के आम चुनाव के बाद लोगों की आमदनी पहले के मुकाबले नहीं बढ़ी। यानी कहा जा सकता है कि अगर हमारी आमदनी नहीं हो रही है तो हम सत्तारूढ़ पार्टी को वोट क्यों दें। इंडियन एक्सप्रेस ने यह विश्लेषण केंद्रीय चुनाव आयोग और राज्यों में प्रति व्यक्ति शुद्ध घरेलू उत्पाद (एनएसडीपी) के डेटा के आधार पर किया है। किसी राज्य में लोगों की प्रति व्यक्ति आय घटने-बढ़ने को आर्थिक संकेत के रूप में लिया जाता है।
भाजपा का वोट प्रतिशत अधिकांश राज्यों में क्यों गिरा?
- विश्लेषण
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- सत्य ब्यूरो
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- 6 Jun, 2024
खाली पेट और भरे पेट यानी आमदनी से क्या वोट प्रतिशत का संबंध है। इंडियन एक्सप्रेस ने डेटा के आधार पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें कहा गया है कि जिन राज्यों में लोगों की आमदनी नहीं बढ़ी, उन्होंने भाजपा को वोट कम दिया है। यानी उन राज्यों में भाजपा का वोट शेयर गिरा है। ऐसे 12 राज्य हैं, जहां भाजपा का वोट शेयर गिरा है। हालांकि रिपोर्ट में काफी विरोधाभास है लेकिन इससे यह बहुत अच्छा संकेत मिल रहा है कि लोग हिन्दू-मुसलमान, मंदिर-मस्जिद जैसे भावनात्मक मुद्दों की बजाय आर्थिक आधार पर वोट देना शुरू कर चुके हैं। रफ्तार धीमी है, लेकिन भविष्य अच्छा है।

इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि 12 राज्य और यूटी ऐसे हैं जहां प्रति व्यक्ति एनएसडीपी सिर्फ 2 फीसदी तक वार्षिक बढ़ी और इन राज्यों में भाजपा का वोट शेयर घटकर 9 फीसदी रह गया। इन नौ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में बिहार, महाराष्ट्र, झारखंड, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर और चंडीगढ़ शामिल हैं। जबकि केरल, सिक्किम और अंडमान निकोबार द्वीप में ऐसा नहीं हुआ।